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चिकनगुनिया (Chikungunya) मच्छरों के काटने की वजह से होने वाली एक बीमारी है। वहीं चिकनगुनिया ज्यादातर मानसून के मौसम में होने की संभावना होती है। अगर चिकनगुनिया के लक्षणों (Chikungunya Symptoms) की बात करें, तो इस बीमारी की वजह से पीड़ित व्यक्ति के जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होता है। इसके अलावा सिरदर्द, बेहोशी और बेचैनी भी होती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इस बीमारी की वजह से शरीर का रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर हो जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं, चिकनगुनिया के लक्षण और बचने के उपाय के बारे में –
आमतौर पर चिकनगुनिया के लक्षण (Chikungunya Symptoms) संक्रमित मच्छर के काटने के 2 दिन से दो हफ्ते के बीच दिखाई देने लगते हैं। वहीं चिकनगुनिया के लक्षण काफी हद तक वायरल इंफेक्शन, मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से मिलते जुलते होते हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
चिकनगुनिया के शुरुआती लक्षणों में से एक तेज बुखार होना भी है। दरअसल चिकनगुनिया बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का बुखार 102 डिग्री सेल्सियस से लेकर 104 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। वहीं यह बुखार एक सप्ताह से ज्यादा दिनों तक बना रहता है।
जोड़ों में तेज दर्द होना, चिकनगुनिया बीमारी का एक प्रमुख लक्षण है। जोड़ों में तेज दर्द होने की वजह से मरीज को हाथ-पैर का मूवमेंट करने में भी तकलीफ होती है। वहीं ये दर्द मरीज के शरीर में काफी दिनों तक बना रहता है। कुछ चिकनगुनिया से पीड़ित कुछ मरीजों के जोड़ों में दर्द के साथ ही सूजन की शिकायत भी हो जाती है।
चिकनगुनिया बीमारी से पीड़ित कई मरीजों के त्वचा पर रैशेज या चकत्ते पड़ जाते हैं। वहीं ये चकत्ते चेहरे पर, हथेली पर और जांघों पर नजर आते हैं। हालांकि, कुछ मरीजों में ये लक्षण नहीं दिखाई देते हैं।
तेज सिर दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द, चक्कर आना और उल्टी महसूस होना भी चिकनगुनिया बीमारी के सामान्य लक्षण हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर किसी व्यक्ति में ये लक्षण दिख रहे हैं तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क कर अच्छे लैब से ब्लड टेस्ट कराएं और सही जगह रिपोर्ट चेक कराएं।
चिकनगुनिया से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए 91466-91466 पर कॉल करें और पाएं डॉक्टर से FREE सलाह।
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चिकनगुनिया का मुख्य लक्षण जोड़ों में दर्द (Joint Pain) होता है। वहीं चिकनगुनिया की वजह से हुआ बुखार दो दिनों से लेकर दो सप्ताह तक रहता है। हालांकि, कई बार रोगी 6 महीने से लेकर साल 2 साल तक भी इस बीमारी के प्रभावों का शिकार रहता है। वहीं चिकनगुनिया वायरस (Chikungunya Virus) शरीर को कमजोर कर देता है़।
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अगर किसी को व्यक्ति को चिकनगुनिया हो गया है तो उसे विटामिन C से भरपूर खाने या पीने वाली चीजें लेने की सलाह दिया जाता है, क्योंकि विटानिन C में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और पाचन क्रिया को मजबूत करने की क्षमता होती है। वहीं, नारियल, सूप और हरी सब्जियों का भी सेवन कर सकते हैं।
चिकनगुनिया में नारियल पानी पीने से काफी फायदा होता है। इसके अलावा, चिकनगुनिया होने पर पपीते के पत्ते के रस को पानी में मिला कर पीना चाहिए।
चिकनगुनिया के लिए RT-PCR टेस्ट होता है। वहीं बुखार शुरू होने के 1 दिन बाद से लेकर कभी भी चिकनगुनिया का टेस्ट (Chikungunya Test) करा सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चिकनगुनिया (Chikungunya) एक बार होने पर एक साल तक पॉजिटिव आता है।
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चिकनगुनिया मच्छरों की एक खास प्रजाति एडिस एजेप्टी के काटने की वजह से फैलता है। वहीं जर्मन डॉक्टर जोहान विल्हेम ने 1818 में इस मच्छर की पहचान की थी।
चिकनगुनिया जीनस अल्फावायरस की वजह से होता है, जबकि डेंगू जीनस फ्लेवीवायरस की वजह से होता है। वहीं दोनों ही बीमारियां मच्छर के काटने की वजह से होती हैं और शुरुआती लक्षण तेज बुखार होता है। साथ ही डेंगू में बुखार के साथ आंखें लाल हो जाती है और स्किन का रंग हल्का लाल होने लगता है।
चिकनगुनिया से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए 91466-91466 पर कॉल करें और पाएं डॉक्टर से FREE सलाह। इसके अलावा आप अपने नज़दीकी उजाला सिग्नस अस्पताल में अपना बेहतर और किफायती इलाज भी करवा सकते हैं। हमारे अस्पताल कानपुर, रेवाड़ी, काशीपुर, वाराणसी, सोनीपत, पानीपत, कुरुक्षेत्र, दिल्ली में नांगलोई और रामा विहार, कैथल, बहादुरगढ़, करनाल, मुरादाबाद, हल्द्वानी और आगरा में मौजूद हैं।
One of the hallmarks of our facility is the inclusion of 6 state-of-the-art critical care units.
These units are dedicated to ensuring that patients facing severe and life-threatening conditions receive immediate and specialized care.
Additionally, our 8-bed Intensive Care Unit (ICU) is equipped with the latest technology to monitor and manage patients who require intensive medical attention.
Patients can also benefit from the spacious general beds while they recover.
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