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Childhood obesity । मौजूदा वक़्त में बदल रही जीवलशैली की वजह से बुजुर्गों और युवाओं के अलावा, छोटे बच्चे भी मोटापे का शिकार हो रहे हैं। जोकि एक गंभीर समस्या है। इसके अलावा, कहीं न कहीं हम खुद अपने मोटापे के लिए जिम्मेदार होते हैं। वहीं, बच्चों में बढ़ रही मोटापे की समस्या (obesity problem) आगे चलकर कई बीमारियों का कारक बन जाता है।
बच्चों में बढ़ता मोटापा (Obesity) देश में नई परेशानी बन कर सामने खड़ा है। 22 राज्यों में किए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) के अनुसार 20 राज्यों में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ा है। वहीं, 2015-16 में किए गए NFHS-4 की तुलना में NFHS -5 में स्थिति ज्यादा तेजी से बिगड़ी है। हालांकि, देश मे बच्चों में बढ़ते मोटापा (childhood obesity in india) के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार उनकी बदलती खाने-पीने की आदतें हैं।
बच्चों में मोटापे की समस्या एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में उपस्थित अतिरिक्त वसा बच्चे के स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। वहीं मौजूदा वक़्त में बच्चों में मोटापे की समस्या तेजी से बढती जा रही है। ध्यान देने वाली बात यह है कि बच्चों में मोटापे की समस्या उनकी स्वास्थ्य पर कई विपरीत प्रभाव डालता है। जो आगे चलकर कई बीमारियों का कारक बन जाता है। इसीलिए इसे स्वास्थ्य से जुड़ीं एक गंभीर चिंता का विषय माना जाता है।
बच्चों के बचपन में होने वाली मोटापे की समस्या (childhood obesity) की कई वजह हो सकती है। जैसे-
आजकल बच्चों को पौष्टिक खाना अच्छा ही नहीं लगता है, उन्हें तो जंक फूड जैसे – स्नैक्स, चाट, फास्ट फूड, स्ट्रीट फूड और हाई कैलोरी फूड खाने में मजा आता है। जोकि बच्चों में मोटापे (obesity in kids) का मुख्य कारण होता है। इसके अलावा, टॉफी, मिठाई व सॉफ्ट ड्रिंक्स के कारण भी बच्चों का वजन बढ़ने लगता है।
जो बच्चे खेलकूद में कम दिलचस्पी रखते हैं या फिर एक्सरसाइज नहीं करते हैं, वो उतनी मात्रा में कैलोरी नहीं घटा पाते हैं जितनी मात्रा में घटानी चाहिए। वहीं, दिनभर बेड या सोफे पर पड़े रहकर मोबाइल चलाते रहना, टीवी देखना और खाना-पीना भी बच्चों में मोटापे का कारण (childhood obesity) बनता है।
अक्सर देखा जाता है कि यदि परिवार में माता-पिता मोटे हैं तो उनको बच्चे भी मोटे होते हैं। इसके अलावा माता-पिता दोनों में से कोई एक मोटा है तब भी बच्चे में मोटापा बढ़ने की संभावना बनी रहती है। इस तरह से पारिवारिक या आनुवांशिक कारणों से भी बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है।
वर्तमान समय में बच्चों में तनाव की समस्या को देखा जा रहा है। इसके अलावा बच्चों में आत्मविश्वास की कमी हो रही है। इन समस्याओं के कारण बच्चा डिप्रेशन में चला जाता है और खुद को बोझिल समझता है। इसके बाद मोटापा बढ़ने की शुरुआत हो जाती है।
कई बार कुछ दवाओं के सेवन से भी बच्चों में वजन बढ़ने लगता है। इसके साथ ही शरीर में हॉर्मोनल चेंज भी वजन बढ़ने के जिम्मेदार हो सकते हैं। दरअसल, अगर किसी दवा को लंबे समय तक खाने या बिना किसी कारण बच्चे का वजन बढ़ रहा है, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें। इसके लिए आप 91466-91466 पर #BasEkCall कर डॉक्टर से Free में बात कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें- मोटापा बना सकता है डायबिटिक, यहां जाने डायबिटीज़ के कारण, लक्षण और इलाज
बच्चों में मोटापे की समस्या आगे चल कर डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसे कई रोग का कारण बनता है। वहीं, बच्चों में मोटापा रोकने के निम्नलिखित उपाय हैं-
मोटापे की समस्या से ग्रसित लोगों में पीठ और जोड़ों के दर्द सामान्य रूप से देखा जा सकता है। इसके अलावा, आत्मविश्वास और आत्मसम्मान में भी कमी देखने ओ मिल सकता है। वहीं, किसी भी काम को करने की क्षमता में कमी को भी देखा जा सकता है।
मोटापे के कारण स्ट्रोक, कैंसर, प्रजनन क्षमता में कमी, दिल, ऑस्ट्रियोआर्थराइटिस, टाइप 2 डाइबिटीज, पित्ताशय की बीमारी, सांस, हाई ब्लड प्रेशर और लिवर में मोटापा जैसी कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
यदि आप या आपका बच्चा मोटापे की समस्या से पीड़ित है, तो नीचे दिए गए फॉर्म को भरें और हमारे डॉक्टर से सीधा संपर्क करें। इसके अलावा, आप 91466-91466 पर कॉल करके भी डॉक्टर से FREE सलाह ले सकते हैं।
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One of the hallmarks of our facility is the inclusion of 6 state-of-the-art critical care units.
These units are dedicated to ensuring that patients facing severe and life-threatening conditions receive immediate and specialized care.
Additionally, our 8-bed Intensive Care Unit (ICU) is equipped with the latest technology to monitor and manage patients who require intensive medical attention.
Patients can also benefit from the spacious general beds while they recover.
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