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Congenital heart disease: देशभर में लगातार हृदय से जुड़ी बीमारियां तेज़ी से बढ़ रही हैं, एक रिसर्च के अनुसार भारत में हर वर्ष 17 लाख लोगों की मौत केवल दिल से संबंधित रोगों के कारण ही होती है, इसके अलावा हर 10 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से भी पीड़ित होते हैं, ऐसे में ये बीमारी काफी भयानक औऱ खतरनाक साबित हो सकती है।
जन्मजात हृदय रोग एक ऐसी बीमारी है जो नवजात बच्चे में जन्म के दौरान से ही शरीर में मौजूद होती है। ये बीमारी आगे चलकर काफी खतरनाक साबित हो सकती है। जन्मजात हृदय रोग कई कारणों से होता है जैसे-
नवजात बच्चा किसी भी तरह के लक्षणों को पहचानने में असमर्थ होता है, लेकिन जन्मजात दिल से जुड़े रोगों के लक्षणों को आप बच्चे द्वारा की जा रही हरकत से पहचान सकते हैं जैसे-
Congenital heart surgery: इस तरह की बीमारियों को सर्जरी, एंजियोग्राफी औऱ अंब्रेला डिवाइस से की जाती है। लेकिन अगर समस्या मामूली सी है तो दवाई से भी ये ठीक हो सकती है। इसके अलावा भी जन्मजात हृदय रोग कई तरह से ठीक किया जा सकता है-
जन्मजात हृदय रोग को ठीक करने के लिए बच्चों के अलावा वयस्कों में भी कैथीटेराइजेशन तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इस तकनीक से छाति और दिल का ऑपरेशन किए बिना ही बीमारी को ठीक करने की कोशिश होती है।
ओपन हार्ट सर्जरी दिल की बीमारियों को ठीक करने का सबसे बेहतर तरीका माना जाता है, जब कैथेटर प्रक्रिया द्वारा भी बीमारी ठीक नहीं होती है तो इस स्थिति में बच्चे का ओपन हार्ट सर्जरी करवाया जाता है।
जन्मजात हृदय रोग का पता जब शुरूआत में लग जाता है तो इस स्थिति में इसे कुछ दवाइयों से भी ठीक किया जा सकता है। इस दौरान बच्चे को ऐसी दवाइयां दी जाती है जो हृदय को ठीक ढंग से काम करने में मदद करे।
कई मामलों में हृदय रोगों का पता बचपन में लग जाता है, क्योंकि पैदा होने के तुरंत बाद डॉक्टर्स बच्चे की पूरी तरह से जांच करते हैं इस दौरान जो भी बीमारी बच्चे में पनप रही होती है उसका पता लग जाता है, ऐसे में अगर आपको पता लगे कि आपके नवजात में हृदय से जुड़ी कोई बीमारी है तो हमेशा समय समय पर चेकप करवाते रहें।
जब जन्मजात हृदय रोगों का पता बाद में लगता है और तब तक स्थिति गंभीर रूप में पहुंच जाती है तो इस दौरान हार्ट ट्रांसप्लांटेशन करना पड़ता है।
आजकल जन्मजात हृदय रोग को लेकर लोगों को काफी उलझन है, कुछ लोगों को ना तो इसके लक्षण पता हैं और ना ही इसकी गंभीरता। ऐसे में आप नीचे कुछ ज़रूरी सवालों के जवाब जान सकते हैं।
पहले ऐसा होता था कि जन्मजात हृदय रोग वाले बच्चे ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाते थे, लेकिन अब पहले वाली स्थिति नहीं रही है, अब गंभीर से गंभीर हृदय विकार को भी इलाज से ठीक किया जा सकता है। जिससे बच्चे की उम्र बढ़ जाती है।
जी नहीं, जन्मजात हृदय विकार नवजात में जन्म से ही होता है और इसपर ध्यान ना देने से ये लंबे समय तक चलता है। लेकिन अब व्यस्क लोगों में भी हृदय विकार के आँकडे बढ़ते जा रहे हैं।
जी नहीं, दिल में छेद होना जन्मजात हृदय रोग का केवल एक प्रकार की तरह है, इस रोग में वॉल्व में ब्लॉकेज, खून का प्रवाह असामान्य होना वाल्स में सिकुड़न औऱ हृदय चेम्बर अविकसित हो जाती है।
ऐसा नहीं है, अगर बच्चे की बीमारी सर्जरी से ठीक कर दी जाए तो वो सक्रिय और अच्छा जीवन आसानी से जी सकते हैं।
जन्मजात हृदय रोग का इलाज और ऑपरेशन इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है, अलग-अलग इलाज में इसका अलग अलग खर्चा आता है। लेकिन परेशानी की बात नहीं है क्योंकि आजकल कई सरकारी संस्थाएं इलाज में आर्थिक मदद भी करती हैं।
उजाला सिग्नस हेल्थकेयर ग्रुप के 13 अस्पताल हैं जो रेवाड़ी, सोनीपत, पानीपत, कुरक्षेत्र, कैथल, बहादुरगढ़, करनाल, कानपुर, वाराणसी, काशीपुर, दिल्ली के नांगलोई, दिल्ली के रामा विहार में स्थित हैं। किसी भी प्रकार की बीमारी का इलाज करवाने के लिए आप अपने नज़दीकी उजाला सिग्नस अस्पताल में अपॉइंटमेंट बुक करवा सकते हैं। इसके अलावा, फ़ोन के ज़रिये मुफ्त परामर्श लेने के लिए आप 8010396396 पर मिस्ड कॉल दे सकते हैं।
One of the hallmarks of our facility is the inclusion of 6 state-of-the-art critical care units.
These units are dedicated to ensuring that patients facing severe and life-threatening conditions receive immediate and specialized care.
Additionally, our 8-bed Intensive Care Unit (ICU) is equipped with the latest technology to monitor and manage patients who require intensive medical attention.
Patients can also benefit from the spacious general beds while they recover.
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