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आमतौर पर लोग हार्ट संबंधित बीमारियों से होने वाली मौतों को हार्ट अटैक समझ लेते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और कार्डियक अरेस्ट के कारण भी काफी मौतें होती हैं और ये तीनों ही एक दूसरे से काफी अलग हैं। तो आज के इस लेख में हम आपको हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर के बारे में बताएंगे और ये भी जानेंगे की ये दोनों एक दूसरे से कैसे अलग हैं।
दरअसल अचानक मौत को लोग अक्सर हार्ट अटैक (heart attack) समझ लेते हैं जो काफी हद तक सही होता है क्योंकि ज्यादातर लोगों की मौत हार्ट अटैक के कारण ही होती है। इसलिए सबसे पहले ये जान लेते हैं कि हार्ट अटैक क्या है? (What is Heart Attack)
दरअसल ये एक अचानक होने वाली घटना है जिसमें दिल तक खून का सप्लाई करने वाली धमनियों में से कोई एक बंद हो जाती है या ब्लॉक हो जाती है। इस स्थिति में ज़रूरत के हिसाब से ब्लड और ऑक्सीजन ना मिल पाने के कारण दिल की मांसपेशियां धीरे-धीरे मरने लग जाती हैं और काम करना बंद कर देती हैं। इस स्थिति में व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ता है जिसकी वजह से मौत की संभावना बढ़ जाती है।
अब बारी आती है हार्ट फेलियर की। तो आपको बता दें कि हार्ट फेलियर के कारण भी लोगों की मौत होती है। ये हार्ट अटैक से काफी अलग है। हार्ट फेलियर की स्थिति अचानक नहीं आती है, हार्ट फेलियर काफी पुरानी स्थिति होती है जो धीरे-धीरे पैदा होती है। इस स्थिति में दिल की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और शरीर को चलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में ब्लड पंप नहीं कर पाती हैं तो ये स्थिति हार्ट फेलियर की होती है।
अगर आप हार्ट अटैक के लक्षण महसूस कर रहे हैं या इसका सामना कर रहे हैं तो तुरंत 91466-91466 पर #BasEkCall करें और डॉक्टर से FREE सलाह लें।
हार्ट फेलियर का इलाज मेडिकल हिस्ट्री, फिजिकल एग्जामिनेशन और टेस्ट के माध्यम से किया जाता है। इसके इलाज से पहले एकोकार्डियोग्राम टेस्ट किया जाता है जो हार्ट फेलियर के इलाज में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला टेस्ट है। इतना ही नहींं इस स्थिति में डॉक्टर कार्डियक स्ट्रेस टेस्ट, हार्ट कैथेटेरिशन तेत्स्त, एमआरआई, इजेक्शन फ्रैक्शन आदि टेस्ट करवाने की भी सलाह देते हैं।
इसके अलावा हार्ट फेलियर का इलाज आप अपने जीवनशैली में बदलाव करके भी कर सकते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर बीटा ब्लॉकर्स जैसी दवाइयों के सेवन की भी सलाह देते हैं। अगर आप हार्ट फेलियर के मरीज हैं तो हमेशा डॉक्टर के संपर्क में रहें।
हार्ट अटैक की स्थिति काफी गंभीर होती है। इसके हल्के लक्षण महसूस होने पर ही तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए या अस्पताल में भर्ती होना चाहिए। इस दौरान तत्काल इलाज के लिए, ब्लड क्लॉट को रोकने के लिए ब्लड थीनर का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा मरीज की स्थिति को देखते हुए ही इलाज के तरीकों का चयन किया जाता है। हार्ट अटैक आने पर पीड़ित व्यक्ति को काफी क्षति पहुंचती है इस स्थिति में स्टैन्ट या एंजियोप्लास्टी (Angioplasty) (Heart Attack Treatment) की मदद से मरीज की ब्लॉक धमनियों को खोला जाता है। इसके अलावा जिन लोगों को कम नुकसान पहुंचा होता है उन्हे कुछ दवाइयों की मदद से भी ठीक करने की कोशिश की जाती है।
हार्ट अटैक आने से पहले सीने में दर्द, भारीपन, सुन्नता और ठंडा पसीना आता है। ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
दरअसल भारत में ज्यादातर मौत हार्ट अटैक और हार्ट फेल होने के कारण ही हो रही हैं। हार्ट फेल होने की स्थिति में दिल की मांसपेशियां कठोर होने लग जाती हैं और दिल सही से बल्ड पंप करने में असमर्थ हो जाता है और धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है। इस स्थिति को हार्ट फेल होने की स्थिति कहते हैं।
हार्ट मानव की छाती के मध्य में, थोड़ी बाईं ओर होता है और ये पूरे दिन में करीब एक लाख बार और एक मिनट के अंदर करीब 60-90 बार धड़कता है।
हार्ट अटैक आने से पहले मरीज जो दर्द महसूस करता है वो एक जगह से दूसरी जगह बढ़ता चला जाता है। इस दौरान सीने में, जबड़ों, गर्दन और हाथों के लेफ्ट साइड में दर्द व असहजता महसूस होती है।
हार्ट ब्लॉकेज को खत्म करने के लिए खानपान का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है। इसके लिए आप खानपान में ज्यादा तेल मसाले वाला भोजन शामिल करना बंद कर दें। इसके साथ ही पालक का सेवन शुरु कर दें क्योंकि पालक में पोटेशियम, फोलेट और फाइबर पाया जाता है जो धमनी के ब्लॉकेज को रोकने में मदद करता है।
अगर आप हार्ट अटैक के लक्षण महसूस कर रहे हैं या इसका सामना कर रहे हैं तो तुरंत 91466-91466 पर #BasEkCall करें और डॉक्टर से FREE सलाह लें।
One of the hallmarks of our facility is the inclusion of 6 state-of-the-art critical care units.
These units are dedicated to ensuring that patients facing severe and life-threatening conditions receive immediate and specialized care.
Additionally, our 8-bed Intensive Care Unit (ICU) is equipped with the latest technology to monitor and manage patients who require intensive medical attention.
Patients can also benefit from the spacious general beds while they recover.
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