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First aid for broken bones and fractures in Hindi: रोजमर्रा के जीवन में तरह तरह की परेशानियां आती हैं जिनमे से fracture भी आम है। अक्सर हम जाने अनजाने में एक्सिडेंट या किसी गंभीर चोट के शिकार हो जाते हैं जिसकी वजह से हड्डियों में फ्फ़्रैक्चर हो जाता है, इसके अलावा अक्सर छोटे बच्चे खेल कूद के दौरान गिर जाते हैं जिसकी वजह से उन्हे चोट आ जाती है, कई बार हड्डियां टुकड़ों में टूट जाती हैं तो कई बार फ्रैक्चर हो जाता है। अगर शुरूआत में इन टूटी हुई हड्डियों को नजरअंदाज कर दिया जाए तो ये आगे चलकर व्यक्ति का उठना बैठना भी मुश्किल कर देती हैं इसलिए इनका तत्काल इलाज बहुत ज़रूरी होता है।
(Hairline fracture treatment in Hindi)
Fracture treatment: चोट या फ़्रैक्चर का इलाज उसकी स्थिति को देख कर दिया जाता है। अगर चोट बहुत ज्यादा गंभीर है तो जल्द से जल्द किसी डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए, अगर खून निकल रहा है तो सबसे पहले खून रोकने का इलाज करना होता है उसके बाद doctor के पास ले जाना चाहिए। तो चलिए जानते हैं टूटी हुई हड्डियां व फ्रैक्चर का फर्स्ट एड कैसे करें। (haddi crack ka ilaj)
अगर किसी को चोट लग गई है या किसी जगह की हड्डी टूट गई है तो सबसे पहले चोट वाली जगह को थोड़ा बेस दें। टूटी हुई हड्डियों को बेस देने के लिए उसके आसपास गद्दी या तकिया रख दें। इसके अलावा चोट वाली जगह पर हल्दी चूना गर्म करके लगाएं औऱ गर्म पट्टी बांध दें, ध्यान रहे ये केवल कुछ देर का ही इलाज है इस उपाय के बाद पीड़ित व्यक्ति को थोड़ी राहत मिलेगी जिसके बाद आप डॉक्टर के पास ले जा सकते हैं।
किसी भी तरह के फ्रैक्चर का इलाज करने से पहले ये देखें कि आपका फ्रैक्चर कहीं से खुला तो नहीं है। अगर चोट कहीं से खुला हुआ है या उसमे से खून बह रहा है तो सबसे पहले ब्लीडिंग रोकने का उपाय करें, इसके लिए चोट वाली जगह की ड्रेसिंग करके इसे कवर कर दें। उसके बाद डॉक्टर के पास जाकर एक्स-रे ज़रूर करवाएं इससे अंदरूनी चोट का भी पता लग जाएगा।
फ्रैक्चर का इलाज तब करना है जब हड्डियां टूटी हुई हों, इसलिए अगर आपको शक है कि हड्डी टूट गई है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और अगर आप चोट को लेकर कंफ्यूज हैं तो चोट वाली जगह को हिलाकर देखें, अगर तेज़ दर्द महसूस हो तो उसे वैसे ही छोड़ दें, खुद से कोई कलाकारी ना करें।
अचानक चोट लगने या हड्डी टूटने पर असहनिय दर्द होता है इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति की हालत अस्पताल तक जाने की भी नहीं होती है खासकर अगर चोट पैर में लगा हो। इसलिए इस स्थिति में एक सूती कपड़ा लें और उसमें कुछ बर्फ के टुकड़े डाल दें, उसके बाद चोट वाली जगह की सिकाई करें, इससे पीड़ित व्यक्ति को काफी आराम महसूस होगा।
अगर किसी व्यक्ति को गले, पीठ या अन्य किसी नाजुक जगह पर फ्रैक्चर है तो उस जगह को बिल्कुल भी हिलने-डुलने ना दें, उस जगह को स्थिर करके रखें, हाथ, पैरों में चोट है तो उसके नीचे तकिया लगा दें।
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फ्रैक्चर या टूटी हुई हड्डियों को लेकर कुछ लोगों के मन में तमाम तरह के सवाल होते हैं, ऐसे में आज के इस लेख में हम आपको कुछ ज़रूरी सवालों के जवाब देंगे।
फ्रैक्चर के सबसे आम प्रकारों में कूल्हे, फीमर, हाथ, पैर और टखनों का फ्रैक्चर आता है, क्योंकि ये सभी जगह बाकी जगहों से कोमल होती हैं और यहां हड्डियों का जुड़ाव होता है जिसकी वजह से इन जगहों पर फ्रैक्चर जल्दी हो जाता है।
यह उस जगह पर निर्भर करता है जहां प्लेट या पिन डाले जाते हैं। कुछ जगहों पर दर्द महसूस नहीं होता है जैसे गर्दन या किसी मजबूत जगह पर लेकिन आमतौर पर पैरों में लगे प्लेट में दर्द हो सकता है, लेकिन ये ज़रूरी नहीं है।
किसी भी फ्रैक्चर के उपचार में 3 से 6 महीने का टाइम लग सकता है, लेकिन हर पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर की सलाह माननी चाहिए। वैसे तो कुछ लोग 6 महीने में ही स्वस्थ हो जाते हैं लेकिन कुछ लोगों को ठीक होते होते 1 साल का समय भी लग सकता है।
हां अगर आप खुद को पूरी तरह से ठीक महसूस कर रहे हैं तो आप अपने काम को दोबारा शुरू कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि आप कोई भी भारी काम करने से बचें, क्योंकि इससे टूटी हुई हड्डी पर दबाव महसूस होगा जिससे आपकी परेशानी और अधिक बढ़ सकती है।
अगर बच्चे को चोट आई है तो वो चोट वाली जगह को छूने नहीं देगा, आप प्रभावित जगह हो हल्का हिला कर देखें, अगर बच्चा दर्द से चिल्लाता है तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।
उजाला सिग्नस हेल्थकेयर ग्रुप के 13 अस्पताल हैं जो रेवाड़ी, सोनीपत, पानीपत, कुरक्षेत्र, कैथल, बहादुरगढ़, करनाल, कानपुर, वाराणसी, काशीपुर, दिल्ली के नांगलोई, दिल्ली के रामा विहार में स्थित हैं। किसी भी प्रकार की बीमारी का इलाज करवाने के लिए आप अपने नज़दीकी उजाला सिग्नस अस्पताल में अपॉइंटमेंट बुक करवा सकते हैं। इसके अलावा, फ़ोन के ज़रिये मुफ्त परामर्श लेने के लिए आप 9146691466 पर मिस्ड कॉल दे सकते हैं।
One of the hallmarks of our facility is the inclusion of 6 state-of-the-art critical care units.
These units are dedicated to ensuring that patients facing severe and life-threatening conditions receive immediate and specialized care.
Additionally, our 8-bed Intensive Care Unit (ICU) is equipped with the latest technology to monitor and manage patients who require intensive medical attention.
Patients can also benefit from the spacious general beds while they recover.
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