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पित्त का हमारे शरीर में महत्वपूर्ण कार्य है। पित्त आपके शरीर में जाने वाले खाने को पचाता है। सरल भाषा में कहा जाए तो पित्त के बिना पाचन क्रिया की शुरूआता नहीं हो सकती है। गॉल ब्लैडर और लीवर के बीच में बाइल डक्ट नाम की एक नली मौजूद होती है। इस नली का काम गॉल ब्लैडर को पित्त तक पहुंचाना है। जैसे ही आप खाना खाते हैं वैसे ही यह ट्यूब पित्त को छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में भेज देती है। यहीं से पाचन क्रिया शुरू हो जाती है। इस लेख में हम पित्त की थैली में स्टोन के लक्षण के बारे में जानेंगे।
पित्त में पथरी तब होती है जब उसमें कोलेस्ट्रॉल इक्ठ्ठा होने लगता है। ऐसा होने पर कोलेस्ट्रॉल एक जगह होने की वजह से सख्त हो जाता है और यह छोटे-छोटे पत्थरों का रूप ले लेता है। अगर शुरूआती समय पर इसमें ध्यान नहीं दिया जाए तो पथरी का आकार बढ़ने लगता है और अंत में पथरी के लिए सर्जरी करवाना ही विक्लप बचता है। ऐसे में हमारी सलाह यह है कि अगर आपको पित्त की थैली में स्टोन के लक्षण महसूस हों तो देर ना करें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। आप 88569-88569 पर डॉक्टर से मुफ्त सलाह ले सकते हैं।
नीचे गाल ब्लैडर स्टोन के लक्षण बताए गए हैं
बदहजमी: बदहजमी होने पर खाना पचने में काफी दिक्कत होती है। अगर आपको यह परेशानी नियमित रूप से हो रही है तो सावधान हो जाएं, यह गाल ब्लैडर स्टोन के लक्षण में से एक हो सकता है।
खट्टी डकार: वैसे तो कुछ तीखा और तला हुआ खाने से खट्टी डकार आना आम बात है लेकिन अगर आपको रोज़ाना खाना खाने के बाद खट्टी डकारे आ रही हैं तो आपको डॉक्टर से सलाह लेने की ज़रूरत है।
उल्टी: खाना खाने के बाद यदि आपका खाना पच नहीं रहा है और आपको उल्टी हो रही है तो यह पित्ताशय की पथरी के लक्षण में से एक हो सकता है।
अधिक पसीना आना: नियमित रूप में अधिक पसीना आना पित्ताशय की पथरी के लक्षण है।
एसिडिटी: सीने और पेट में जलन यानी आपको अगर एसिडिटी की समस्या रोज़ाना हो रही है तो आपकी पित्त की थैली में स्टोन हो सकता है।
पेट फूलना: पेट का अक्सर फूल जाना या लंबे समय तक इसका फूले रहना भी पित्ताशय की पथरी के लक्षण है।
पेट में भारीपन: यह भी गॉलब्लेडर में पथरी के लक्षण में से है।
अगर आपके पेट में असहनीय दर्द हो रहा है और आप एक तरफ होकर नहीं लेट पा पा रहे हैं या आपकी त्वचा और आंखो का रंग पीला हो रहा या आपको बुखार आ रहा और ठंड लग रही है तो आपको डॉक्टर से परामर्श लेने के लिए तुरंत जाना चाहिए।
पित्ताशय की पथरी के लक्षण के बाद हम पित्ताशय की पथरी के कारण जानते हैं। वैसे तो गॉलब्लैडर में स्टोन के सटीक कारण अभी तक पता नहीं चले हैं लेकिन कुछ ऐसी स्थितियां हैं जो पित्ताशय में स्टोन होने की संभावना को बढ़ा सकती हैं। आइए नज़र डालते हैं कुछ ऐसी ही परेशानियों पर:
सोडा का सेवन: सोडा में फॉस्फेरिक एसिड मौजूद होता है जो स्टोन होने के खतरे को बढ़ाता है।
ज़्यादा मात्रा में प्रोटीन: अगर आप मांसाहारी है तो आपको इसका सेवन सीमित कर देना चाहिए। रिसर्च के मुताबिक जो प्रोटीन जानवर से मिलते हैं उनसे कैल्शियम स्टोन और यूरिक एसिड होने की संभावना बढ़ जाती है।
मोटापे की वजह से भी हो सकता है स्टोन।
मीठे का सेवन: मीठी चीज़ों में कार्बोहाइड्रेट अधिक मात्रा में पाया जाता है। इतनी ही नहीं मीठी चीज़ों में कोलेस्ट्रॉल भी ज़्यादा मात्रा में पाया जाता है जो गॉल्बलेडर में स्टोन होने के खतरे को बढ़ाता है।
गर्भनिरोधक दवाएं: ऐसी महिलाएं जो गर्भनिरोध गोलियों का सेवन अधिक मात्रा में करती हैं उन्हें भी स्टोन होने की संभावना ज़्यादा होती है।
बेकरी उत्पाद: बेकरी में बनने वाले उतपादों में सेचुरेटड और ट्रांस फैट के साथ मैदा पाया जाता है। यह गॉल्बलेडर में स्टोन बनने की संभावना को बढ़ाते हैं।
यह दो प्रकार की होती है
कोलेस्ट्रॉल पथरी: यह पथरी पीले रंग की होती है और यह तब बनती है जब कुछ ना पचने पाले पद्दार्थ पित्त की थैली में जमा हो जाते हैं।
पिजन पथरी: बिलीरुबिन तेवल बढ़ले की वजह से यह पथरी होती है। शुरूआती स्तर पर यह छोटी होती है और इसका रंग गहरा होता है लेकिन लंबे समय के बाद यह आकार बड़ा हो जाता है।
दिन में दो बार गाजर और ककड़ी रस पीने से, सुबह खाली पेट नींबू का रस का पीने से, अधिक मात्रा में नाशपाती खाने से, रोज़ाना एक चम्मच हल्दी खाने से आप पित्ताशय की पथरी को होने से रोक सकते हैं।
आपको बता दें कि पित्ताशय की पथरी होने पर असहनीय दर्द होता है। इस दर्द से पीड़ित व्यक्ति की रोज़ मर्रा की ज़िंदगी में काफी तकलीफ का सामना करना पडता है। आजकल के समय में यह समस्या ज़्यादातर व्यक्तियों में देखने को मिल रही हैं। ऐसे में अगर आपको गॉल ब्लैडर में स्टोन के लक्षण दिखें तो इसे नज़रअंदाज़ न करें, जल्द से जल्द चेकअप करवाएं।
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आप हमारे डॉक्टर से घर बैठे मुफ्त में सलाह ले सकते हैं। आप 91466-91466 पर कभी भी, कहीं से भी कॉल कर सकते हैं। अगर आप उजाला सिग्नस अस्पताल के आस-पास के क्षेत्र में रहते हैं तो आप वहां जाकर भी जांच करवा सकते हैं। हमारे कुल 14 अस्पताल हैं जो उत्तर-भारत में मौजूद हैं। अधिक जानकारी के लिए 91466-91466 पर कॉल करें।
One of the hallmarks of our facility is the inclusion of 6 state-of-the-art critical care units.
These units are dedicated to ensuring that patients facing severe and life-threatening conditions receive immediate and specialized care.
Additionally, our 8-bed Intensive Care Unit (ICU) is equipped with the latest technology to monitor and manage patients who require intensive medical attention.
Patients can also benefit from the spacious general beds while they recover.
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