हार्ट ब्लॉक को एवी ब्लॉक भी कहा जाता है। यह दिल की धड़कन को कंट्रोल करने वाले इंलेक्ट्रिकल सिग्नल के आधी या पूरी तरह से ब्लॉक हो जाने की स्थिति है। ऐसा होने पर आपका दिल या तो धीमी रफ्तार (heart blockage symptoms) से धड़कने लगता है या फिर हार्ट बीट स्किप हो जाता है। ऐसा होने पर दिल सही तरह से खून शरीर तक नहीं पहुंचा पाता है।
क्या है हार्ट ब्लॉकेज? (What is heart blockage)
दिल के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में आने वाली दिक्कत हार्ट ब्लॉक कहलाता है। दिल के इलेक्ट्रिकल सिस्टम का काम धड़कनों को बनाना और इनकी गति को नियंत्रण में रखना है। हार्ट ब्लॉक की स्थिति को आर्टरियोवेंट्रीक्यूलर ब्लॉक या कंडक्शन डिसॉडर भी कहते हैं।
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हार्ट ब्लॉक होने पर क्या होता है?
सामान्य तौर पर इलेक्ट्रिकल सिग्नल ऊपक के चैंबर (आर्टिया) से नीचे के चैंबर (वेंट्रीकल्स) की तरफ जाते हैं। ऐट्रियोवेनटीक्यूलर नोड रक्त कोशिकाओं से बनी होती है और यह एक ब्रिज के तौर पर दिल के ऊपर वाले चैंबर को नीचे वाले चैंबर से, इलेक्ट्रिकल गतिविधियां करने के लिए जोड़ती हैं।
अगर आपको हॉर्ट ब्लॉक की समस्या होती है तो एवी नोड के ज़रिए इलेक्ट्रिकल सिग्नल वेंट्रीकल्स तक नहीं पहुंच पाते हैं। परिणाम स्वरूप आपका दिल सुचारू रूप से काम नहीं कर पाता है। इस स्थिति में दिल की धड़कने धीमी हो जाती है या धड़कने छूटने लगती है। ऐसा होने पर दिल चैंबर्स और शरीर तक खून सही तरह से नहीं पहुंचा पाता है।
हार्ट ब्लॉक के प्रकार (Heart blockage types)
हार्ट ब्लॉत पहली, दूसरी या तीसकी डिग्री का हो सकता है।
पहली डिग्री का हार्ट ब्लॉक: इस स्थिति में इलेक्ट्रिकल सिग्नल वेंट्रिकल तक पहुंतते तो हैं लेकिन इनकी रफ्तार आम स्थिति की तुलना में काफी धीमी होती है।
सेकेंड डिग्री हार्ट ब्लॉक: यह दो प्रकार का होता है। टाइप 1 और टाइप 2।
टाइप 1: यह सेकेंड डिग्री हार्ट ब्लॉक का कम गंभीर प्रकार है। इसमें जब तक आपके दिल की धड़कन में गैप ना आ जाए यानी दिल की धड़कने ताल मेंं ना चले तब तक चैंबर तक पहुंचने वाले इलेक्ट्रिकल सिग्नल धीरे होते जाते हैं।
टाइप 2: जहां एक तरफ कुछ इलेक्ट्रिकल सिग्नल वेंट्रिकल तक लगातार पहुंच रहे होते हैं वहीं कुछ नहीं पहुंच पाते हैं। इस स्थिति में आपकी दिल की धड़कने आसामान्य हो जाती हैं और सामान्य तौर की अपेक्षा धीमी भी।
थर्ड डिग्री हार्ट ब्लॉक: इस प्रकार के हार्ट ब्लॉक में आर्टिया से वेंट्रिकल्स तक पहुंचने वाले इलेक्ट्रिकल सिग्नल पूरी तरह से ब्लॉक हो जाते हैं। इस समस्या को ठीक करने के लिए वेंट्रिकल पेसमेकर की तरह काम करके अपने आप धड़कने लगता है लेकिन दिल की धड़कन की स्थिति में धीमी ही रहती है और ये विक्लप ज़्यादा दिनों तक काम नहीं कर पाता है। थर्ड डिग्री हार्ट ब्लॉक से शरीर पर बुरा असर पड़ता है क्योंकि यह दिल की शरीर में खून पहुंचाने की क्षमता को काफी हद तक प्रभावित करता है
हार्ट ब्लॉक की समस्या गंभीर है? (Is heart blockage serious)
हार्ट ब्लॉक कि प्रकार का है या ये कितना गंभीर है व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है। अगर इस समस्या का इलाज समय रहते ना किया जाए तो गंभीर तरह का हार्ट ब्लॉक, कार्डियक अरेस्ट के लिए ज़िम्मेदार हो सकता है। आमतौर पर हार्ट ब्लॉक होने पर चक्कर या बेहोशी के लक्षण भी नज़र आ सकते हैं।
हार्ट ब्लॉकेज होने के कारण (Heart blockage causes)
हार्ट ब्लॉक का सबसे सामान्य कारण हार्ट अटैक है। अन्य कारणों में दिल की मांसपेसी संबंधित बीमारियां (कार्डियोमायोपैथी), हार्ट वॉल्व या दिल के आकार संबंधित समस्याएं शामिल हैं। हार्ट सर्जरी के दौरान होने वाली किसी ऊंच-नीच की वजह से भी हार्ट ब्लॉक हो सकता है। ऐसा किसी दवाई के साइडइफेक्ट के कारण हो सकता है। आनुवांशिक होने पर भी हार्ट ब्लॉक की समस्या पैदा हो सकती है।

हार्ट ब्लॉक के लक्षण: (Heart blockage symptoms)
हार्ट ब्लॉक के लक्षण उसके प्रकार पर निर्भर करते हैं:
फर्स्ट डिग्री Heart blockage symptoms
- इसमें कोई खास लक्षण नहीं होता है।
- रेगुलर इसीजी के ज़रिए इसका पता लगाया जा सकता है।
- फर्स्ट डिग्री हार्ट ब्लॉक एथलीट्स और युवा पीढ़ी में होना सामान्य है।
सेकेंड डिग्री Heart blockage symptoms के लक्षण
- बेहोशी, चक्कर जैसा लगना।
- सीने में दर्दा।
- थकान महसूस होना।
- सांस का सही तरह से ना आना।
- तेजी से सांस लेना।
- मतली।
थर्ड डिग्री Heart blockage symptoms
- चक्कर आना, बेहोशी लगना।
- सीने में दर्दा।
- थकान महसूस होना।
- सांस की कमी।
धीमी हृदय गति के कारण थर्ड डिग्री हार्ट ब्लॉक के लक्षण ज़्यादा गंभीर होते हैं। अगर आप इन लक्षणों का शिकार हैं तो हमारे अनुभवी डॉक्टर से 88569-88569 पर मुफ्त में सलाह लें।

हार्ट ब्लॉक का इलाज (Heart blockage treatment)
सबसे पहले काडिर्योलॉजिस्ट आपके हार्ट ब्लॉक का प्रकार, ब्लॉक कहां पर है और उसकी गंभीरता क्या है इसकी जांच करेगा। वो आपसे लक्षणों के बारे में जानकारी लेकर इस बात का भी पता लगाएगा कि हार्ट ब्लॉक आपके दिल और शरीर पर किस हद तक असर कर रहा है। हार्ट ब्लॉक का इलाज और इसके लक्षण व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करते हैं।
किसी-किसी मामले में दवाईयों में बदलाव या दिल संबंधी बीमारी का इलाज करके हार्ट ब्लॉक को खत्म किया जा सकता है।
फर्स्ट डिग्री ब्लॉक: अगर आपको फर्स्ट डिग्री ब्लॉक है तो हो सकता है आपको इलाज की ज़रूरत ना पड़े।
सेकेंड डिग्री ब्लॉक: सेकेंड डिग्री ब्लॉक है और लक्षण नज़र आ रहे हैं तो आपको पेसमेकर की ज़रूरत हो सकती है ताकी आपका दिल सामान्य तौर पर धड़क सके। पेसमेकर एक छोटी सी डिवाइस होती है तो दिल तक इलेक्ट्रिकल सिग्नल पहुंचाने में मदद करती है।
थर्ड डिग्री ब्लॉक: आपको थर्ड डिग्री है या नहीं ये अक्सर आपातकालीन स्थितियों में पता चलता है। इस समस्या को ठीक करने के लिए अधिकतर मामलों में पेसमेकर का सहारा लिया जाता है।
यदि आपको पेसमेकर की आवश्यकता है, तो आपका हृदय रोग विशेषज्ञ/इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट आपसे विस्तार में चर्चा करेगा और आपके लिए कौन सा पेसमेकर सबसे अच्छा है इस बात की जानकारी देगा। इसके साथ डॉक्टर आपको पेसमेकर लगने के दौरान और उसके बाद हाेने वाले बदलाव से भी वाकिफ करवाएगा।
हार्ट संबंधी किसी भी इलाज के लिए आप नज़दीकी उजाला सिग्नस अस्पताल में जा सकते हैं। हमारे हर अस्पताल में किफायती दाम में बेहतर इलाज किया जाता है। अगर आप ऊपर बताए गए किसी भी लक्षण का सामना कर रहे हैं तो देरी ना करें। आज ही हमारे डॉक्टर से मुफ्त में सलाह लें। आप 88569-88569 पर कॉल कर के free teleconsultation ले सकते हैं।