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Heart attack treatment in hindi: हार्ट अटैक का इलाज

By Kripal Negi

Reviewed by : Jalaz Jain

April 4, 2023

हार्ट अटैक एक मेडिकल इमरजेंसी है। जब भी किसी को हार्ट अटैक आता तब उसका इलाज तुरंत होना चाहिए। अगर ऐसा ना किया जाए तो मरीज़ का दिल हमेशा खराब होने या उसकी जान जाने की संभावना बढ़ जाती है। अगर आप एंबुलेंस बुलाते हैं तो आपका हार्ट अटैक का इलाज (Heart attack treatment in hindi) गाड़ी में ही शुरू हो जाता है। यदि कोई दूसरा आपको अस्पताल लेकर जाता है तो डॉक्टर हार्ट अटैक का ट्रीटमेंट इमरजेंसी रूम में करते हैं।

हार्ट अटैक में दवाई (Heart attack medicine)

हार्ट अटैक के शुरूआती इलाज (Heart attack treatment in hindi) में दिल में जमा खून का थक्का बढ़ ना जाए और दिल पर पड़ रहा दबाव कम हो जाए। दवाईयों का इस्तेमाल खून के थक्के (Heart blood clotting) को खत्म या इनका उत्पादन रोकने के लिए किया जाता है। इसके अलावा प्लेटलेट्स इकट्ठा ना हो पाएं और पट्टिका से ना चिपके, पट्टिका स्थिर रहे, और अधिक इस्केमिया ना बढ़ें, इसलिए भी दवाइयां दी जाती हैं। हार्ट अटैक आने के 1 से 2 घंटों के अंदर आपको यह दवाइयां दी जानी चाहिएं जिससे कि आपके दिल को कम से कम नुकसान पहुंच सके।

हार्ट अटैक के दौरान दी जाने वाली दवाइयां इस प्रकार हो सकती हैं

  • खून के थक्के को रोकने के लिए एसप्रिन। खून का थक्का दिल के दौरे को गंभीर बना देता है।
  • कुछ एंटीप्लेटलेट दवाइयां जैसे, क्लोपीडोग्रेल (प्लेविक्स), प्रसुग्रेल, या टिकाग्रेलोर भी थक्के को रोकने के लिए दी जाती हैं।
  • आपके दिल की धमनियों में खून के थक्के को खत्म करने के लिए थ्रोम्बोलिटिक थेरेपी (“थक्का बस्टर्स”) की जाती है।
  • इनमें से किसी का भी कॉम्बीनेशन दिया जा सकता है।
  • अन्य दवाएं भी दी जाती हैं। इनको ज़्यादातर इलाज के दौरान या बाद में दिया जाता है, ताकि दिल बेहतर तरीके से कार्य कर सके, रक्त कोशिकाएं खुल सकें, और दर्द से राहत मिले।
  • अगर आप दिल की समस्या से परेशान हैं और इलाज के लिए डॉक्टर ढूंढ रहे हैं तो हमे 91466-91466 पर कॉल कर सकते हैं। इस नंबर पर आपकी बात सीधे डॉक्टर से होगी और आप उनसे अपनी समस्या के लिए मुफ्त में सलाह भी ले पाएंगे।

    हार्ट अटैक के इलाज (Heart Attack Treatment) में ब्लॉक्ड धमनियों को खोलने की प्रक्रिया शामिल भी हो सकती है।

    कार्डियक कैथेटेराइजेशन

    एंजियोग्राफी या स्टेट जैसी प्रक्रियाओं को करने के लिए कार्डियक कैथेटेराइजेशन का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी मदद से सिकुड़ी या बंद धमनियों को खोला जाता है।

    बलून एंजियोप्लास्टी

    अगर ज़रूरत पड़े तो कार्डियक कैथेटेराइजेशन के दौरान इस तरीके को अपनाया जा सकता है। गुब्बारे के आकार के पतले और हॉलो ट्यूब को बंद हुई धमनी में डाला जाता है। गुब्बारे को धीरे-धीरे फुलाया जाता है ताकि धमनियों में जमा हुआ प्लेक बाहर की ओर निकल सके। ऐसा करने से बंद हुई धमनी खुल जाती है और रक्त का बहाव सुचारु रूप से होने लगता है। अधिकतर केस में यह प्रक्रिया स्टेंट डाले बिना नहीं की जाती है।

    यह भी पढ़ें: क्या है कोरोनरी धमनी रोग? जानें कारण लक्षण और इलाज

    स्टेंट प्लेसमेंट

    इस प्रक्रिया में एक छोटा ट्यूब कैथेटर के ज़रिए ब्लॉक हुई धमनी में डाला जाता है। यह स्टेंट अधिकतर मेटल का होता है और मरीज़ के दिल में हमेशा के लिए डाला जाता है। कुछ स्टेंट ऐसे मटेरियल से भी बनते हैं तो समय के साथ आपके शरीर में मिल जाते हैं। कुछ स्टेंट ऐसे भी होते हैं जिनमें दवाइयां होती हैं और फिर से धमनी बंद ना हो, इस कार्य में मदद करती हैं।

    बाइपास सर्जरी

    हार्ट अटैक आने के कुछ दिनों बाद आपकी बाइपास सर्जरी की जाती है। इस प्रक्रिया को शरीर में होने वाले  रक्त प्रवाह को सामान्य करने के लिए करते हैं। बाइपास सर्जरी के ज़रिए आपका सर्जन बंद हुई धमनी में खून का बहाव आपके सीने या पैर की रक्त कोशिका को इस्तेमाल करके वापस लाएगा। सर्जन एक ज़्यादा आर्टरी बाइपास कर सकते हैं।

    कोरोनरी केयर युनिट में क्या होता है?

    हार्ट अटैक आने पर मरीज़ सीसीयू में कम से कम 24 से 36 घंटों के लिए रहता है। गंभीर स्थिति से बाहर आने के बाद आपको दवाई के साथ निम्नलिखित चीज़े की जाती हैं:

    रक्त प्रवाह बढ़ाने के लिए नाइट्रेट दिल

    भविष्य में थक्के ना बने इसके लिए एस्पिरिन, ब्रिलिंटा, क्लोपिडोगेरेल, एफिएंट, हेपरिन, या प्लेविक्स जैसेी दवाएं खून को पतला करने के लिए दी जाती हैं।

    दिल की मांसपेशियों को बेहतर करने के लिए एसीई अवरोधक

    स्टेटिन्स

    एटोरवास्टिन और सिम्वास्टिन जैसी दवाएं कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए दी जाती हैं। इनकी मदद से दिल की मांसपेशियां भी ठीक होती है। साथ ही आगे जाकर हार्ट अटैक दोबारा आने का ज़ोखिम भी कम होता है।

    जब तक आप अस्पताल में रहते हैं तब तक अस्पताल का मेडिकल स्टाफ आपके दिल की धड़कनों पर ईकेजी के ज़रिए लगातार नज़र बनाए रखता है।

    कुछ मरीज़ों के दिल में पेसमेकर लगाया जाता है। यह एक बैटरी वाली डिवाइस होती है जो दिल की धड़कनों को सामान्य रखने में मदद करती है। अगर आपकी दिल की धड़कन में ज़्यादा गड़बड़ी है तो डॉक्टर आपके सीने को इलेक्ट्रिक शौक भी दे सकता है।

    अगर आप दिल की समस्या से परेशान हैं और इलाज के लिए डॉक्टर ढूंढ रहे हैं तो हमे 91466-91466 पर कॉल कर सकते हैं। इस नंबर पर आपकी बात सीधे डॉक्टर से होगी और आप उनसे अपनी समस्या के लिए मुफ्त में सलाह भी ले पाएंगे।

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