
जानिए शुगर के लक्षण न होने पर भी क्यों बेहद ज़रूरी है स्क्रीनिंग?
By Ujala Cygnus
Reviewed by : Jalaz Jain
April 10, 2023
Screening in diabetes: डायबिटीज़ वो बीमारी है जिसे लोग गंभीरता से तभी लेते हैं जब टेस्ट की रिपोर्ट में उन्हें दिखाई पड़े कि शुगर लेवल बढ़ा हुआ है। और ये विचारधार एक-दो लोगों की नहीं बल्कि इस देश में कई लोगों कि है, इसी वजह से ऐसे लोग डायबिटीज़ के शरीर में पूरी तरीके से पनपने से पहले अपना स्क्रीनिंग नहीं करवाते हैं और बाद में इस बड़ी बीमारी के शिकार हो जाते हैं। आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि आखिर स्क्रीनिंग क्यों ज़रूरी है? स्क्रीनिंग किसे करवानी चाहिए और स्क्रीनिंग करवाने की वजह
स्क्रीनिंग क्या है? (What is screening)
किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के अंदर जब कोई भी बड़ी बीमारी पनपती है तो उससे पहले उसके शरीर में लक्षण पैदा होना लगते हैं। ऐसे में स्वस्थ व्यक्ति में बीमारी लगने से पहले होने वाले टेस्ट को स्क्रीनिंग कहते हैं। किसी भी बीमारी के शिकार होने से पहले स्क्रीनिंग महत्वपूर्ण रोल निभाती है। डायबिटीज़ की बात करें तो इस टेस्ट में उन लक्षणों को पता लगाने की कोशिश की जाती है जिसकी वजह से बाद में व्यक्ति डायबिटीज़ 2 (screening for type 2 diabetes) का शिकार हो सकता है। ये पूरा तरीका इलाज से बेहतर बचाव के कथन पर आधारित है।
डायबिटीज़ में स्क्रीनिंग का रोल क्या है?
Diabetes screening questionnaire: अब हम मुख्य मुद्दे पर आते हैं कि क्या डायबिटीज़ में स्क्रीनिंग का रोल क्या है? तो आपको बता दें कि डायबिटीज़ के शिकार होने से पहले स्क्रीनिंग करवाने की दो वजह हैं। पहली वजह की बात करें तो 2018 में इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian general of medical research) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में प्रीडायबिटीज (Pre Diabetes) 14% मामले हैं – और यह सिर्फ उन लोगों का है जिनका परीक्षण किया गया है। प्रीडायबिटीज एक ऐसा रोग है जिसमें लक्षण नहीं होते, इसलिए आपको यह भी एहसास नहीं होता की आप प्रीडायबिटीज़ के शिकार हो रहे हैं। इसलिए यह पता लगाने के लिए कि आप प्री डायबिटीज़ के शिकार तो नहीं है, स्क्रीनिंग करवाना बेहद ज़रूरी है।
दूसरे कारण की बात करें तो जब मरीज़ को डायबिटीज़ के लक्षण दिखाई देना शुरू होते हैं असल में उनके पनपने की शुरूआत कई सालों पहले हो चुकी होती है। ऐसे में लक्षण न दिखने पर भी शुगर का टेस्ट या स्क्रीनिंग करवाना ज़रूरी है। ऐसा करने से वक्त रहते इलाज हो पाएगा और डायबिटीज़ में होने वाली कठिनाईयों से भी बचना मुमकिन हो पाएगा।
किसको करवाना चाहिए Sugar Test?
यह सवाल ज़रूर आप सबके मन में आया होगा, चिंता न करिए हम इसका जवाब भी देंगे। आपको बता दें कि सबको डायबिटीज़ या शुगर का टेस्ट (Sugar test for diabetes) नहीं करवाना चाहिए। टेस्ट करवाने के लिए भी कुछ गाइडलाइंस ( diabetes screening guidelines 2020) बनाई गई हैं जिन्हें विश्व ग्लोबल लेवल पर फॉलो किया जाता है।
गाइडलाइंस की माने तो वो व्यक्ति जिसकी उम्र 45 साल से ज़्यादा है उसे डायबिटीज़ का टेस्ट करवाना चाहिए। अगर टेस्ट करवाने पर नतीजा नॉर्मल आता है तो हर तीन साल में स्क्रीनिंग करवानी चाहिए।
इसके अलावा उन्हें भी डायबिटीज़ का टेस्ट करवाना चाहिए जिनकी उम्र 45 साल से कम है लेकिन उनका वजन ज़्यादा है या डायबिटीज़ का कोई अन्य रिस्क फैक्टर भी है। यह रिस्क फैक्टर्स में इस प्रकार हैं:
इन सभी रिस्क फैक्टर्स में से अगर कोई एक आपके साथ है और आपकी उम्र 45 से कम है लेकिन वजन ज़्यादा है उन्हें भी टेस्ट करवाना चाहिए।
जेस्टेशनल डायबिटीज़ वाली महिलाओं को भी करवाना चाहिए टेस्ट।
तो यह थी स्क्रीनिंग से जुड़ी हुई कुछ ज़रूरी बातें। अगर आप भी 45 साल से ज़्यादा उम्र के हैं या 45 से कम हैं लेकिन वज़न ज़्यादा है तो हमारे एक्सपर्ट से अपॉंइटमेंट ले सकते हैं। नीचे दिए गए अपांइटमेंट बटन पर क्लिक करें।
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