
क्या होती है जेस्टेशनल डायबिटीज? जानें कारण, लक्षण और इलाज
By revati raman
Reviewed by : Jalaz Jain
April 5, 2023
गर्भावस्था के दौरान शरीर में तमाम तरह के बदलाव आते हैं और कई बार तो यह बदलाव बीमारियों को भी जन्म दे देते हैं, उन्ही बीमारियों में से एक है जेस्टेशनल डायबिटीज। इस बीमारी में गर्भवती महिलाओं का ब्लड शुगर लेवल काफी बढ़ जाता है। एक शोध के अनुसार प्रेगनेंसी के 24 से 28वें हफ्ते के बीच जेस्टेशनल डायबिटीज होता है। लेकिन इस बीमारी में घबराने की कोई बात नहीं है क्योंकि यह डायबिटीज बच्चे के जन्म के बाद अपने आप ही खत्म हो जाता है।
जेस्टेशनल डायबिटीज़ के कारण
दरअसल प्रेगनेंसी के दौरान नाल के जरिए गर्भ में पल रहे बच्चे को पोषक तत्व और पानी मिलता है, इस दौरान नाल में कई प्रकार के जरुरी हार्मोन भी पैदा होते हैं, इन्ही में से कैच हार्मोन्स इंसुलिन पर रोक लगा देते हैं, जिससे गर्भनिरोधक इंसुलिन पर असर पड़ता है जिससे जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
जेस्टेशनल डायबिटीज़ के लक्षण
गर्भावस्था में जेस्टेशनल डायबिटीज होना आप बात है, लेकिन अगर आप इस बीमारी को नहीं पहचान पा रहे हैं तो उससे आने वाले बच्चे पर भी बुरा असर पड़ेगा, इसलिए अगर आपको नीचे दिए गए लक्षणों में से कुछ भी महसूस होता है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह ले,क्योंकि आपकी एक लापरवाही आपके साथ साथ नवजात को भी खतरे में डाल सकती है।
जेस्टेशनल डायबिटीज़ का इलाज
आमतौर पर गर्भवस्था का आधा समय गुजर जाने के बाद यानी 24 से 28 हफ़्तों के बाद जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा पैदा होता है। वैसे तो बच्चे के जन्म के बाद ये खुद ही खत्म हो जाता है लेकिन कई बार इलाज करवाने की जरूरत पड़ जाती है।
जेस्टेशनल डायबिटीज़ होने पर बरतें ये सावधनियाँ
अगर आपको जेस्टेशनल डायबिटीज है तो आपको अपना खास ध्यान रखना होगा। इसके अलावा बच्चे को किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो इसके लिए भी कुछ सावधानियों का पता होना भी जरूरी है जैसे-
अगर आप गर्भवती हैं या जेस्टेशनल डायबिटीज का सामना कर रही हैं तो इस स्थिति में अपने आसपास स्थिति Ujala Cygnus अस्पताल में बेस्ट ट्रीटमेंट करवा सकती हैं इसके अलावा आप हमारे डॉक्टर्स से भी परामर्श ले सकती हैं।
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