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Hemophilia kya hai हर साल 17 अप्रैल को विश्व हिमोफीलिया दिवस मनाया जाता है, इसे ब्रिटिश रॉयल डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। एक रिसर्च के अनुसार करीब 10 हजार में से एक व्यक्ति को ही हीमोफीलिया नाम की बीमारी होती है। यह बीमारी इतनी खतरनाक होती है कि इससे किसी व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। डॉक्टर्स के अनुसार इस बीमारी से पीड़ित कोई व्यक्ति किसी दुर्घटना का शिकार हो जाता है तो उसके शरीर से निकलने वाले खून को रोकना काफी मुश्किल हो जाता है, यही वजह (haemophilia cause of death)
है कि लगातार खून बहने से व्यक्ति की मौत हो जाती है।
डॉक्टर्स की मानें तो आमतौर पर हिमोफीलिया के दो प्रकार हैं हीमोफीलिया ए और हीमोफीलिया बी। अगर बात हिमोफीलिया ए की करें तो इस बीमारी में सेक्टर 8 की कमी आ जाती है तो वहीं हिमोफीलिया बी में सेक्टर 9 की कमी देखी जाती है।
जब किसी दुर्घटनावश शरीर से खून बहने लगता है तब शरीर सभी रक्त कोशिकाओं को एकत्रित कर लेता है और एक क्लॉट बना लेता है, इस क्लॉट की वजह से ब्लीडिंग रुक जाती है ब्लड क्लोटिंग फैक्टर्स की वजह से यह प्रक्रिया शुरू होती है। अगर इनमें से किसी क्लॉटिंग फैक्टर में कमी आ जाती है तो हिमोफीलिया होने का खतरा रहता है।
हीमोफीलिया को अनुवांशिक रोग (haemophilia in hindi) भी कहते हैं यह कई प्रकार का होता है जो ज्यादातर माता-पिता से या परिवार से ही विकसित होता है।
जैसा कि हमने ऊपर बताया हीमोफीलिया रोग में शरीर से खून अधिक मात्रा में बहने लगता है, इसके अलावा त्वचा का नीला पड़ जाना भी हिमोफीलिया के लक्षण हैं। इसके अलावा लक्षणों की गंभीरता हिमोफीलिया के स्टेज पर निर्भर करती है। अगर कोई व्यक्ति हीमोफीलिया रोग का शिकार है तो उसे नीचे दिए गए लक्षण महसूस हो सकते हैं-
खून बहना हीमोफीलिया रोग के सबसे आम लक्षणों में से एक है इस बीमारी में किसी दुर्घटना के कारण चोट लगने से निकलने वाला खून रुकता नहीं है और अधिक खून बहने से पीड़ित व्यक्ति की जान भी चली जाती है।
डॉक्टरर्स के अनुसार हमेशा नाक से खून बहना भी हीमोफीलिया रोग की निशानी है।
शरीर से अधिक खून बहने के साथ साथ पेशाब के रास्ते खून आना और त्वचा का नीला पडना भी हीमोफीलिया के लक्षणों में शामिल है।
लगातार खून बहने की स्थिति में शरीर के अंदर जैसे घुटने और कोहनी के भीतर भी रक्तस्राव हो सकता है जिसकी वजह से इनमें सूजन आ जाती है और गर्म महसूस होता है।
हीमोफीलिया के मरीजों में दिमाग के भीतर भी रक्तस्राव हो सकता है। इस स्थिति में दिमाग के अंदर अंदरूनी रक्तस्राव होता है जिससे शरीर में सूजन आ जाती है।
हिमोफीलिया के इलाज की बात करें तो सबसे पहले डॉक्टर ब्लड टेस्ट से हिमोफीलिया की जांच करते हैं उसके बाद नीचे दिए गए तरीकों से इसका इलाज किया जाता है-
हिमोफीलिया का इलाज उसके स्टेज और उसके प्रकार पर निर्भर करता है। अधिक गंभीर स्थिति में हीमोफीलिया से जुड़े क्लॉटिंग फैक्टर को बदलना पड़ता है, जिसके लिए एक नली का इस्तेमाल किया जाता है इसमें नली को नशों के अंदर डाला जाता है जिसे रिप्लेसमेंट थेरेपी के नाम से भी जाना जाता है।
अगर किसी व्यक्ति को हल्के हिमोफीलिया के लक्षण हैं तो यह शरीर में ज्यादा क्लॉटिंग फैक्टर बनाने का काम करता है। इसका टीका नसों के भीतर लगाया जाता है या नाक में स्प्रे की मदद से टीका लगाया जाता है।
इस दवा की मदद से ब्लड क्लॉट्स को टूटने से रोका जाता है, इसके अलावा फाइब्रिन सीलेंट सीधे चोट पर लगाई जाती है जिससे घाव जल्दी भर जाए और ब्लड क्लॉट बन सके।
अंदरूनी रक्तस्राव से होने वाली परेशानियां और जोड़ों को पहुंची हानि को खत्म करने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है।
अगर कोई व्यक्ति हीमोफीलिया रोग से पीड़ित है तो उसे हेपेटाइटिस ए और हेपेटाइटिस बी के खिलाफ टीका जरूर लगवाना चाहिए।
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One of the hallmarks of our facility is the inclusion of 6 state-of-the-art critical care units.
These units are dedicated to ensuring that patients facing severe and life-threatening conditions receive immediate and specialized care.
Additionally, our 8-bed Intensive Care Unit (ICU) is equipped with the latest technology to monitor and manage patients who require intensive medical attention.
Patients can also benefit from the spacious general beds while they recover.
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