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Toggleसे जैसे उम्र बढ़ती जाती है तो फिर उम्र बढ़ने के ही साथ-साथ हमारे जोड़ों में दर्द होने लगता है और फिर परेशानी होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है और यह खासकर घुटनों के जोड़े में अधिक होती है जो हमारे पूरे शरीर का वजन उठाते हैं।
वृद्ध हो चुके लोगों में घुटने में दर्द होना एक बेहद आम शिकायत है और यह दैनिक गतिविधियो के साथ साथ जीवन की गुणवत्ता को बहुत अधिक प्रभावित कर सकता है। देखा जाए तो घुटने के दर्द को रोकने के लिए और साथ ही बढ़ती उम्र के साथ अपने घुटनों को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखने के लिए भी कुछ कदम उठाए जा सकते हैं।
वर्तमान समय में घुटने का दर्द कई लोगों के लिए एक बेहद आम समस्या हो गई है, खासकर तब जब उनकी उम्र काफी बढ़ जाती है। घुटने के दर्द में एक नहीं बल्कि विभिन्न स्थितियां बढ़ावा दे सकती हैं, जिनमें कि निम्न शामिल हैं:
कई तरह के गठिया से घुटने में काफी अधिक दर्द होता है, जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस, रुमेटीइड और गाउट। इसमें भी पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस घुटने के दर्द का सबसे आम कारण होता है जो कि कार्टिलेज के टूटने के कारण होता है। कार्टिलेज समय के साथ साथ घुटनों को कुशन करने का कार्य करता है। इससे जोड़ों में सूजन होने के साथ दर्द और अकड़न भी हो सकती है, और वह भी खासकर सुबह के समय।
वहीं आराम करने से दर्द में सुधार भी हो सकता है, लेकिन इलाज न किए जाने पर यह समय के साथ काफी अधिक बढ़ सकता है। पर देखा जाए तो इसका कोई इलाज नहीं है। यह दर्द निवारक दवा, वजन को मैनेज करके, व्यायाम के माध्यम से और कई बेहद गंभीर मामलों में सर्जरी द्वारा दर्द को मैनेज किया जा सकता है।
ऑस्टियोपोरोसिस की यह स्थिति बेहद कमजोर और भंगुर हड्डियों का भी कारण बनती है, जिससे कि फ्रैक्चर का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है। साइलेंट डिजीज के रूप में भी इसे जाना जाता है क्योंकि यह इसके लक्षण तब तक पता नहीं चलते हैं जब तक कोई हड्डी नहीं टूट जाती है।
ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज के विकल्पों में आमतौर पर कैल्शियम और साथ ही विटामिन डी की खुराक, हड्डियों के घनत्व में सुधार के लिए दवा का सेवन, वजन बढ़ाने वाले व्यायाम करने के साथ साथ खुद को गिरने से बचाव के उपाय भी शामिल होते हैं।
बर्साइटिस सामान्य तौर तब होता है जब आपके जोड़ों को कुशन देने वाली छोटी और लिक्विड से भरी हुई थैलियां सूज जाती हैं जिससे कि घुटने में भी काफी अधिक दर्द होता है। साथ ही इसके लक्षणों में जोड़ों में दर्द होने के साथ साथ, सूजन का होना, गर्मी और साथ ही अकड़न भी शामिल हैं।
बर्साइटिस के लक्षणों को आप आराम करके, बर्फसे सेंककर और दर्द की दवा के साथ साथ चिकित्सा द्वारा भी मैनेज कर सकते है।
चोंड्रोमलेशिया पटेला नाम की यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें कि घुटने के नीचे की कार्टिलेज बेहद नरम हो जाती है और साथ ही घिस भी जाती है। इससे फिर घुटने के सामने दर्द होने लगता है यह दर्द तब और बढ़ जाता है जब आप सीढ़ियां चढ़ते या फिर उतरते हैं। वहीं पर्याप्त आराम के साथ साथ शारीरिक चिकित्सा, घुटने के ब्रेसिज़ और गंभीर मामलों में भी सर्जरी से दर्द को मैनेज करने में भी मदद मिल सकती है।
इलियोटिबियल टिश्यू का एक मोटा बैंड होता है जो कि कूल्हे से घुटने तक चलता है और इसकी सूजन इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम की ओर आपको ले जाती है। देखा जाए तो यह विशेष रूप से किसी एक्टिविटी के दौरान घुटने के बाहरी हिस्से में दर्द को बढ़ाने का कार्य करता है।
उपचार के इन विकल्पों में आराम करने के अतिरिक्त, बर्फ से सेंकना, स्ट्रेचिंग और व्यायाम के साथ साथ घुटने के ब्रेसिज़ इत्यादि भी शामिल हैं।
चोट लगने की वजह से भी गठिया की समस्या हो सकती है और साथ ही जोड़ों में दर्द के साथ साथ सूजन, जकड़न इत्यादि की समस्या से भी आपको जूझना पड़ सकता है। वहीं इसके इलाज के विकल्पों को बात की जाए तो कई दर्द निवारक दवाएं, जोड़ों के दर्द के इंजेक्शन इत्यादि शामिल है।
वहीं अगर आप लगातार घुटने के दर्द या फिर किसी अन्य लक्षण का भी अनुभव करते हैं तो फिर अपने चिकित्सक से परामर्श करना बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है। शुरुआती समस्या से आगे के नुकसान को रोकने के साथ ही आप अपने जीवन जीने की गुणवत्ता में भी काफी अधिक सुधार कर सकते हैं।
प्रतिदिन नियमित व्यायाम के माध्यम से आप वृद्धावस्था में घुटने के दर्द को रोकने में कामयाब हो सकते है। घुटने के जोड़ से जुड़े हुए निम्नलिखित अभ्यास आपकी मांसपेशियों को बहुत अधिक मजबूत कर सकते हैं और साथ ही उसके लचीलेपन में भी काफी अधिक सुधार कर सकते हैं तो वहीं घुटने के दर्द और चोट के जोखिम को भी काफी अधिक कम कर सकते हैं-
टहलना: यह एक ऐसा अभ्यास है जोकि आपके घुटने के जोड़ की गतिशीलता में बहुत अधिक सुधार करता है और साथ ही घुटने के दर्द के जोखिम को भी बहुत अधिक कम करता है। साथ ही यह शरीर के स्वस्थ वजन को बनाए रखने में भी काफी अधिक मदद कर सकता है और घुटने के जोड़ पर भार भी कम कर सकता है। हरेक दिन कम से कम 30 मिनट तेज चलने का लक्ष्य रख आप खुद में सुधार कर सकते हैं।
लेग लिफ्ट्स: लेग लिफ्ट्स क्वाड्रिसेप्स की मांसपेशियों को काफी अधिक मजबूत कर सकती हैं जो कि घुटने के जोड़ को भी सहारा देती हैं। देखा जाए तो अपने पैरों को सीधा रखते हुए आप अपनी पीठ के बल लेट जाएं और उसके बाद एक पैर को सीधा रखते हुए जमीन से ऊपर उठाएं। कुछ ही सेकंड के लिए रुकें और इसे वापस नीचे रख दें। दूसरे पैर से इसे फिर दोहराएँ। हरेक पैर के मध्य से इसे 10-15 जरूर दोहराएं।
वॉल सिट्स: वॉल सिट्स नामक यह अभ्यास घुटने के जोड़ को सहारा देने वाले क्वाड्रिसेप्स, हैमस्ट्रिंग और ग्लूट्स को काफी अधिक मजबूत कर सकती है। इसमें आप एक वॉल के सहारे अपनी पीठ के साथ खड़े हो जाएं और उसके बाद अपने शरीर को उस तरह नीचे करें जैसे कि एक कुर्सी पर आप बैठे हुए हों। 10-20 सेकंड आप उसी स्थिति में रुकें और फिर वापस वैसे ही खड़े हो जाएं। 10-15 बार आप वैसे ही दोहराएं।
घुटने से जांघ तक खींचना: घुटने से जांघ तक खींचकर आप कूल्हे और घुटने के जोड़ों के लचीलेपन में भी काफी अधिक सुधार कर सकते है। आप अपने एक पैर को सीधा करके फर्श पर बैठ जाएं और साथ ही दूसरा पैर सीधे पैर की भीतरी जांघ को छूते हुए नीचे की ओर झुकें। उसके बाद आगे झुकें, सीधे पैर के पंजों की ओर आराम से पहुँचें। 10-20 सेकंड के लिए रुकें और फिर उसे दूसरे पैर पर भी दोहराएं।
किसी भी तरह के व्यायाम को शुरू करने से पहले आप अपने डॉक्टर के साथ बात जरूर करें और खासकर अगर आपको घुटने में दर्द या फिर आपको घुटने की चोट है।
आप सबसे पहले हमेशा धीमी शुरुआत करें और उसके बाद धीरे-धीरे अपने व्यायाम की तीव्रता और अवधि को भी बढ़ाएं। उसके बाद नियमित व्यायाम के माध्यम से घुटने के दर्द को रोकने और साथ ही वृद्धावस्था में गतिशीलता बनाए रखने में भी यह बहुत अधिक मदद कर सकता है।
आपको बता दें कि घुटने का दर्द आपकी दैनिक गतिविधियों को बहुत अधिक प्रभावित कर सकता है, जिसमें कि देर तक चलना, सीढ़ियाँ चढ़ना और यहाँ तक कि लंबे समय तक बैठना या फिर खड़ा होना भी इसमें शामिल है। वहीं एक ठंडा सेंक घुटने के जोड़ के आसपास सूजन को कम करने का भी काम करता है।
जब भी यह घुटने पर लगाया जाता है, तो फिर ठंडा तापमान ब्लड वेसल्स को बहुत अधिक संकुचित कर देता है, जिससे कि ब्लड सर्कुलेशन और साथ ही सूजन भी कम हो जाती है। साथ ही यह दर्द रिसेप्टर्स को भी सुन्न करने का काम करता है, जिससे कि दर्द और बेचैनी से आपको तुरंत राहत मिलती है।
आप कोल्ड कंप्रेस का इस्तेमाल करने के लिए आप एक जेल पैक भी खरीद सकते हैं या फिर एक प्लास्टिक की थैली में बर्फ डालकर और साथ ही इसे एक तौलिये में लपेटकर अपना स्वयं का भी बना सकते हैं। वहीं एक बार में 15-20 मिनट के लिए प्रभावित हो रहे घुटने पर कोल्ड कंप्रेस जरूर लगाएं।
आप इसे दिन में कई बार दोहराएं। देखा जाए तो ठंडे तापमान से त्वचा की क्षति को रोकने के लिए एक तौलिया में कोल्ड कंप्रेस लपेटना बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
बुढ़ापे में घुटने के दर्द को रोकने के लिए आपको बता दें कि कोल्ड कंप्रेस का उपयोग करना बेहद ही सुरक्षित और प्रभावी तरीका भी होगा हालांकि देखा जाए तो अगर घुटने का दर्द बना रहता है या फिर बिगड़ जाता है तो फिर
इसका उचित निदान और उपचार योजना के लिए डॉक्टर से परामर्श करना भी बहुत आवश्यक हो जाता है।
आपको बता दें कि हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के लिए बहुत अधिक प्रसिद्ध है के कि बुढ़ापे में घुटने के दर्द को रोकने में आपकी बहुत अधिक मदद कर सकता है।
कई तरह के रिसर्चों में यह सुझाव दिया गया है कि कर्क्यूमिन घुटने के पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस से जुड़ी सूजन और साथ ही दर्द को काफी कम कर सकता है, जो कि वृद्ध वयस्कों में भी एक सामान्य स्थिति होता है।
एक रिसर्च में यह भी पाया गया है कि घुटने के पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस वाले लोगों में जिन्होंने छह सप्ताह के लिए कर्क्यूमिन की खुराक नियमित तौर पर ली थी, उन लोगों ने घुटने के दर्द और साथ ही जकड़न में उन लोगों की तुलना में महत्वपूर्ण कमी भी दर्ज की, जिन्होंने प्लेसबो का सेवन किया था।
इसके अलावा देखा जाए तो कर्क्यूमिन को संयुक्त कार्य के साथ साथ गतिशीलता को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने के लिए भी जाना जाता है, जिससे यह बूढ़े हो चुके लोगों में घुटने के दर्द के लिए एक आशाजनक इलाज का विकल्प बन जाता है। पर आप कोई भी नया सप्लिमेंट शुरू करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
करक्यूमिन सप्लीमेंट लेने के अलावा भी हल्दी को अपने आहार में शामिल करना भी बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। आप को बताया दें कि हल्दी को सूप, स्टॉज और स्मूदी के माध्यम से भी लिया जा सकता है और साथ ही इसका उपयोग मीट और सब्जियों को स्वादिष्ट बनाने के लिए भी किया जा सकता है और इससे वह और भी अधिक पौष्टिक बन जाता है।
घुटनों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए उचित फुटवियर बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। घुटने के दर्द को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण कारक होता है उचित जूता न पहनना। सही जूते पहनने से आपके शरीर के वजन को भी समान रूप से वितरित करने में बहुत अधिक मदद मिल सकती है।
देखा जाए तो यह आपके शरीर में संतुलन को बनाए रखने और साथ ही स्थिरता में भी बहुत अधिक सुधार करता है और साथ ही चलते या फिर दौड़ते समय आपके घुटनों पर पड़ने वाले प्रभाव को भी काफी कम करने का काम करता है। इसके अलावा आप ऐसे जूते जरूर चुनें जो कि आपके द्वारा की जा रही m एक्टिविटी को सहज तरीके से करने में सहायता प्रदान करें।
उदाहरण के लिए देखें तो अगर आप टहलने जा रहे हैं तो फिर ऐसे जूते जरूर चुनें जो कि आरामदायक हों और साथ ही अच्छा सपोर्ट भी आपको प्रदान करें। दौड़ते समय आपको विशेष रूप से दौड़ने के लिए डिज़ाइन किए गए ही जूते चुनें और साथ ही अपने जोड़ों पर प्रभाव को कम करने के लिए कुशनिंग जरूर करें।
और साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि आपके जूते ठीक से आपको फिट हों। बहुत ही तंग या फिर ढीले जूते आपकी चाल को बहुत अधिकप्रभावित कर सकते हैं और आपके घुटनों पर भी अनावश्यक रुप में तनाव डाल सकते हैं। वहीं आप जूते खरीदते समय यह जरूर जांच लें कि आप जो जूता खरीद रहें हैं वो आपको फिट आते हों।
आप शारीरिक तौर पर बेहतर महसूस करने के लिए सीधे आरामदायक मुद्रा खड़े हो जाएं। आप जब भी खड़े होते या फिर बैठते हैं तो क्या आप प्राय: पीछेकी तरफ झुक जाते हैं या फिर आगे झुक जाते हैं? अगर आप ऐसा करते है तो फिर आप जाने-अनजाने में बुढ़ापे में होनेवाले घुटने के दर्द को बढाने का काम कर सकते है।
आपके शरीर की खराब मुद्रा आपके शरीर में असंतुलन पैदा करने का काम कर सकती है, जिससे कि आपके घुटनों के साथ साथ अन्य जोड़ों पर अतिरिक्त तनाव पड़ता है। इसके विपरीत आप सीधे खड़े होने और साथ ही अच्छी मुद्रा बनाए रखने से घुटने के दर्द को रोकने और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में बहुत अधिक मदद मिल सकती है।
जब भी आप सीधे खड़े होते हैं, तो फिर आपका वजन एक ही एरिया पर केंद्रित होने के बजाय आपके पैरों और साथ ही पूरे शरीर में समान रूप से बंट जाता है। साथ ही यह आपके घुटनों और अन्य कई जोड़ों पर भी दबाव कम करने में बहुत अधिक मदद करता है, जिससे कि दर्द और परेशानी काफी कम हो सकती है।
इसके अलावा देखा जाए तो एक अच्छा आसन आपको संतुलित रखता और साथ ही स्थिरता में भी काफी अधिक सुधार कर सकता है जिससे कि यह गिरने और चोटों के जोखिम को भी बहुत अधिक कम कर सकता है।
आप सीधे खड़े होने के लिए अपने सिर, कंधों और साथ ही कूल्हों को एक सीध में लाकर ही शुरुआत करें। आप अपने कंधों को रिलैक्स रखें और साथ ही आगे की ओर झुकने से खुद को बचाए रखें। वहीं आपके पैर कंधे की चौड़ाई से भी अलग होने चाहिए तो आपका वजन समान रूप से बांटा हुआ होना चाहिए।
आप अपनी रीढ़ की हड्डी को सहारा देने के लिए भी और साथ ही अपनी पीठ को सीधा रखने के लिए अपनी मुख्य मांसपेशियों को जोड़कर ही रखें। अगर आपको ऐसी मुद्रा बनाए रखने में परेशानी हो रही है, तो फिर आप उन व्यायामों का फिर से प्रयास करें जो कि कोर और पीठ की मांसपेशियों को बहुत मजबूत करते हैं।
अंत में निष्कर्ष रूप में यही कहा जा सकता है कि वृद्ध लोगों के घुटने में दर्द का होना एक बेहद आम शिकायत है और यह बहुत सामान्य बीमारी भी है लेकिन घुटने के दर्द के विकास के जोखिम को रोकने और साथ ही कम करने के लिए कई तरह के उपाय बेहद आसानी से किए जा सकते हैं।
आप अपना इष्टतम वजन बनाए रखने और साथ ही घुटने के जोड़ के आसपास की मांसपेशियों को बनाने के लिए शक्ति प्रशिक्षण शामिल करने से लेकर घुटने के दर्द को रोकने में भी आपको बहुत अधिक मदद मिल सकती है।
देखा जाए तो उचित जूते पहनना, अत्यधिक प्रभाव वाली गतिविधियों से स्वयं बचाए रखना और बार-बार दौड़ते समय ब्रेक लेना भी घुटने के दर्द को रोकने का काम कर सकता है। देखा जाए तो इन दर्द निवारक उपायों को आप अपनाकर, वृद्ध व्यक्ति या फिर व्यस्क व्यक्ति भी अपने घुटने के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने में बहुत अधिक मदद ले सकते हैं।
One of the hallmarks of our facility is the inclusion of 6 state-of-the-art critical care units.
These units are dedicated to ensuring that patients facing severe and life-threatening conditions receive immediate and specialized care.
Additionally, our 8-bed Intensive Care Unit (ICU) is equipped with the latest technology to monitor and manage patients who require intensive medical attention.
Patients can also benefit from the spacious general beds while they recover.
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