Table of Contents
Toggle
हर्निया एक आम बीमारी है, ये किसी स्वस्थ व्यक्ति को भी आसानी से हो सकता है। आमतौर पर ये बीमारी 40 से 50 की उम्र के बाद होता है और उस जगह को सबसे पहले अपने प्रभाव में लेता है जहां के मसल्स कमजोर होते हैं, या वहां चोट लगा हो। हर्निया से पीड़ित व्यक्ति की मांसपेशिया बाहर आने लगती हैं और सोने के बाद अंदर चली जाती है। हर्निया आमतौर पर फैटी टिशू के हिस्से होते हैं।
हर्निया एक ऐसी बीमारी है जिसमें पीड़ित व्यक्ति को काफी तकलीफ़ होती है, इस स्थिति में व्यक्ति के शरीर का कोई हिस्सा उभर कर लटकने लगता है और इस दौरान व्यक्ति को काफी दर्द भी होता है। हर्निया होने के कई कारण हैं जैसे-
1.हर्निया गर्भवती महिलाओं को जल्दी हो जाता है क्योंकि गर्भवस्था के दौरान पेट काफी उभर जाता है और पेट पर दबाव भी पड़ता है जिसके कारण बाद में हर्निया होने का खतरा रहता है।
2.कब्ज भी हर्निया होने का एक बड़ा कारण है, जिस व्यक्ति को हमेशा कब्ज़ की शिकायत रहती है उसके आंत पर जोर पड़ता है जिसके कारण हर्निया हो जाता है।
3.भारी और लिमिट से ज्यादा वजन उठाने के कारण भी हर्निया होने का खतरा रहता है।
4.जिन लोगों का भार ज्यादा होता है या जिसका वजन कंट्रोल में नहीं रहता है वो व्यक्ति भी हर्निया का शिकार बड़ी आसानी से हो सकता है।
5.लगातार खांसी या छींक के कारण हर्निया हो सकता है क्योंकि इससे कमजोर मसल्स पर दबाव पड़ता है।
यह भी पढ़ें: जानें क्या होते हैं हर्निया के प्रकार
हर बीमारी की तरह हर्निया के भी कई लक्षण होते हैं, इन लक्षणों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है, जिससे हर्निया को बढ़ने से पहले ही रोका जा सके।
हर्निया रोग में पेट पर सूजन आ जाती है, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि व्यक्ति हर्निया रोग से पीड़ित है, लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि हर्निया का सूजन पेट के उसी भाग में होता है जहां की मांसपेशियां कमजोर होती हैं।
जिस व्यक्ति को हमेशा पेट भरा भरा महसूस होता है, और व्यक्ति मल त्याग नहीं कर पाता है तो इसे भी हर्निया के लक्षणों में गिना जा सकता है। इसलिए अगर आपको ऐसा महसूस हो कि मेरा पेट साफ नहीं हो रहा है तो इस स्थिति में ऐसे पदार्थों का सेवन करें जिससे पेट साफ हो।
जो व्यक्ति हर्निया का शिकार होता है अक्सर उसको मल त्यागने में दिक्कतें होती हैं और मल के साथ खून भी निकलता है।
हर्निया होने से कई लोगों को सीने में दर्द महसूस होता है, उठते बैठते वक्त व्यक्ति पेट और सीने में दर्द महसूस करता है।
जो भी व्यक्ति हर्निया रोग से पीड़ित होता है अक्सर उसे काम करने, बैठने, और भारी सामान उठाने से पेट पर जोर पड़ता है।
यह भी पढ़ें: हर्निया से बचने के लिए जानें 5 लाजवाब उपाय
कई लोगों का मानना है कि हर्निया एक लाइलाज बीमारी है, इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन ये बिलकुल गलत है, क्योंकि बाकी सभी बीमारियों की तरह ही हर्निया का भी इलाज आसानी से हो सकता है, अगर आप इस बीमारी से पीड़ित हैं तो नीचे दिए गए सभी उपचार हर्निया के लिए ही हैं।
किसी भी बीमारी के लिए होम्योपैथी इलाज को काभी फायदेमंद माना जाता है, इस इलाज का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है, और हर्निया में होमेयोपैथिक इलाज को काफी प्रसिद्धि मिली हुई है जिसके कारण लोग इसपर ज्यादा भरोसा करते हैं।
कुछ केस में जब हर्निया रोग को लोग नजरअंदाज कर देते हैं तो ये गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है जिसके कारण ऑपरेशन या सर्जरी (hernia surgery) की नौबत आ जाती है। इस स्थिति में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को प्रथमिकता दी जाती है, क्योंकि डॉक्टर्स का भी मानना है कि ये सर्जरी हर्निया का सबसे सफल इलाजों में से एक है। इस सर्जरी को दूरबीन की सहायता से किया जाता है जिसके कारण इसे दूरबीन सर्जरी भी कहा जाता है। इस ऑपरेशन में दूरबीन की सहायता से पेट के सभी हिस्सों की जांच की जाती है।
हर्निया का इलाज ओपन सर्जरी से भी किया जाता है, इसमें दो मसल्स के बीच में एक जाली लगा दी जाती है, इसमें सबसे पहले बढ़े हुए मसल्स की लेयर होती है उसके बाद एक जाली और फिर मसल्स की लेयर होती है। इस सर्जरी में जाली आंत से टच नहीं होती है।
आमतौर पर हर्निया अस्त व्यस्थ जीवन-शैली के कारण ही होता है, अगर आपको इस रोग से बचना है तो अपने जीवन शैली में बदलाव, खान-पान में बदलाव करना बहुत ज़रूरी है। इसके अलावा वजन को नियंत्रण में रखकर भी इस रोग से बचा जा सकता है।
इस बीमारी में दवाइयां काम नहीं करती हैं, लेकिन अगर आपको ज्यादा दर्द है तो आप डॉक्टर की सलाह से पेनकिलर और पैरासिटामोल जैसी दर्दनिवारक दवाइयां ले सकते हैं, लेकिन जितना हो सके दवाइयों का इस्तेमाल कम ही करें। इसके अलावा दर्द असहनिय हो तो आप हॉट बैग आदि का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
उजाला सिग्नस हेल्थकेयर ग्रुप के 13 अस्पताल हैं जो रेवाड़ी, सोनीपत, पानीपत, कुरक्षेत्र, कैथल, बहादुरगढ़, करनाल, कानपुर, वाराणसी, काशीपुर, दिल्ली के नांगलोई, दिल्ली के रामा विहार में स्थित हैं। किसी भी प्रकार की बीमारी का इलाज करवाने के लिए आप अपने नज़दीकी उजाला सिग्नस अस्पताल में अपॉइंटमेंट बुक करवा सकते हैं। इसके अलावा, फ़ोन के ज़रिये मुफ्त परामर्श लेने के लिए आप 9146691466 पर मिस्ड कॉल दे सकते हैं।
One of the hallmarks of our facility is the inclusion of 6 state-of-the-art critical care units.
These units are dedicated to ensuring that patients facing severe and life-threatening conditions receive immediate and specialized care.
Additionally, our 8-bed Intensive Care Unit (ICU) is equipped with the latest technology to monitor and manage patients who require intensive medical attention.
Patients can also benefit from the spacious general beds while they recover.
One of the hallmarks of our facility is the inclusion of 6 state-of-the-art critical care units.
These units are dedicated to ensuring that patients facing severe and life-threatening conditions receive immediate and specialized care.
Additionally, our 8-bed Intensive Care Unit (ICU) is equipped with the latest technology to monitor and manage patients who require intensive medical attention.
Patients can also benefit from the spacious general beds while they recover.