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नवजात शिशु का कोई टाइम टेबल नहीं होता है, वो ज्यादा देर तक सोते हैं और कम समय तक जागते हैं, खासकर रात में शिशु बहुत कम ही सोते हैं जिसकी वजह से माता पिता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नवजात शिशु का ये स्लीपिंग पैटर्न जन्म के बाद करीब 6 महीने तक ऐसा ही चलता है वो अपनी मर्जी से सोता है औऱ अपनी मर्जी से ही जगता है। लेकिन कुछ शिशु तो ऐसे होते हैं जो रात में बिल्कुल भी नहीं सोते हैं जिसकी वजह से मां की भी नींद पूरी नहीं हो पाती है और वो पूरे दिन परेशान रहती है।
कई माएं ये शिकायत करती हैं कि उनका बच्चा पूरा दिन सोता है औऱ रात में जगता है, जिसकी वजह से पूरे घर को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके लिए कुछ लोग डॉक्टर्स को भी दिखाते हैं कि उनका शिशु रात में सोता नहीं है। अगर आपके साथ भी ये परेशानी है तो घबराइए नहीं, आज हम आपको कुछ ऐसे कारण बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानने के बाद आप भी समझ जाएंगे कि आखिर क्यों आपका शिशु रात के समय सोता नहीं है।
शिशु कई कारणों की वजह से रात में नहीं सो पाता है, जिनमें से भूख लगना भी एक आम कारण है। शिशू का पेट छोटा होता है और मां का दूध जल्दी डायजेस्ट हो जाता है जिसकी वजह से उसे जल्दी भूख लग जाती है, औऱ भूख के कारण भी उसे नींद नहीं आती है औऱ वो रोने लगता है। इसलिए अगर आप शिशु को थोड़े थोड़े देर में फीड कराते रहे तो वो आराम से सो सकेगा।
रात में कई बार शिशु बिस्तर गीला कर देता है और हमे पता भी नहीं होता है, इस वजह से उसे गीलापन महसूस होता है जिससे वो रात में सो नहीं पाता और रोने लगता है। इसलिए सोने से पहले बच्चे के लिए डाइपर का इस्तेमाल करें इससे शिशु को गीलापन नहीं लगेगा और वो आराम से सो सकेगा।
नवजात शिशु काफी सेंसेटिव होता है जिसकी वजह से उसे हमेशा कोई ना कोई दिक्कत महसूस होती रहती है। कफ, कोल्ड और पेट में दर्द के कारण भी शिशु रात में सो नहीं पाता है, ऐसे में शिशु का ध्यान रखें की आखिर उसे क्या दिक्कत हो रही है, उसकी परेशानी को समझें और डॉक्टर को दिखाएं।
शिशु पूरे दिन हाथ पैर चलाता है औऱ खेलता है जिसकी वजह से उसे थकान महसूस होती है। और इस थकान के कारण उसे रात के समय सोने में दिक्कत होती है। इसके अलावा एक नवजात शिशु को 11 से 12 घंटे की नींद चाहिए होती है, औऱ जब उसे ये नींद ना मिले तब लो थका हुआ महसूस करता है जिसके कारण उसे नींद नहीं आती है।
जिस शिशु की उम्र दांत निकलने की हो गई है वो शिशु हमेशा परेशान रहता है। क्योंकि इस दौरान उसे दस्त लगता है और दांतों में दर्द होता है जिसकी वजह से वो रात भर सो नहीं पाता है। इसके अलावा कई बार शिशु डरावने सपने देख लेता है जिसकी वजह से भी उसे नींद नहीं आती है।
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नवजात शिशु को लेकर हर मां के दिमाग में तमाम तरह के सवाल होते हैं, जिनमें से हम आपके लिए कुछ जरूरी सवालों के जवाब लाएं हैं जो आप नीचे पढ़ सकती हैं। when do babies sleep through the night naturally
Baby don’t sleep at night आमतौर पर शुरूआती 6 महीने में बच्चों के सोने की कोई उम्र नहीं होती है, शिशु रात में किसी भी समय बिना वजह जग सकते हैं। लेकिन अगर ऐसा रोज़ाना होता है और आपका बेबी दिन और रात दोनों समय में अपनी नींद पूरी नहीं कर पा रहा है तो हो सकता है उसे कोई अंदरूनी परेशानी हो, ऐसे में जल्द से जल्द डॉक्टर से सलाह लें।
शिशु को सुलाने के लिए कोई रणनीति अपनाने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि आप जैसा अपने शिशु को बनाएंगे वो वैसी ही हरकत करेगा। इसलिए शुरू से ही अपने बच्चे को सोने की सही आदत लगाएं, ऐसा करने से वो सोने का टाइम आते ही खुद सो जाएगा और आपको जरा भी मेहनत करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
नवजात शिशु बोल नहीं सकता, इसलिए वो अपनी परेशानी आप तक रोकर ही पहुंचाता है, ऐसे में आप उसकी परेशानियों पर ध्यान दें, हो सकता है बच्चा थका हुआ हो या वो गीलापन महसूस कर रहा हो, या फिर उसे भूख लगी है।
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One of the hallmarks of our facility is the inclusion of 6 state-of-the-art critical care units.
These units are dedicated to ensuring that patients facing severe and life-threatening conditions receive immediate and specialized care.
Additionally, our 8-bed Intensive Care Unit (ICU) is equipped with the latest technology to monitor and manage patients who require intensive medical attention.
Patients can also benefit from the spacious general beds while they recover.
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