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गुदे में जब दरारे आ जाती हैं तो फिशर की स्थिति पैदा हो जाती है। जब किसी व्यक्ति का मल कठोर और बड़ा होता है और उसे मल त्यागने में परेशानी आती है तो वो फिशर (What is fissure) का शिकार हो जाता है। फिशर होने पर मल त्यागते समय दर्द हो सकता है और खून भी निकल सकता है। इस लेख में फिशर के इलाज (Fissure treatment in hindi) के बारे में जानेंगे।
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फिशर के लक्षण पाइल्स के लक्षण के जैसे ही होते हैं, इस वजह से आप फिशर की दिक्कत को पाइल्स समझ सकते हैं। हो सकता है कि आप इस प्रकार की दिक्कतों को डॉक्टर से साझा करने में हिचकिचाएं। लेकिन याद रखें, ऐसी परेशानियों को डॉक्टर से शेयर करना ज़रूरी है। ऐसा करने से फिशर का इलाज समय पर हो जाएगा और स्थिति के गंभीर होने की संभावना कम हो जाएगी।
फिशर के लक्षण जानने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं। आपको बता दें कि आप 91466-91466 पर डॉक्टर से मुफ्त में सलाह ले सकते हैं। हमारे डॉक्टर्स आप से खुलकर बात करेंगे। आपकी जानकारी भी गोपनीय रहेगी। डॉक्टर से मुफ्त सलाह लेने के लिए तुरंत कॉल करें।
डॉक्टर से लक्षणों के बारे में खुलकर बताना और उन्हें छोटी सी छोटी जानकारी देना, आपके लिए कौन का इलाज बेहतर है, ये बताने में मददगार होता है। डॉक्टर को निम्नलिखित बाते ज़रूर बताएं।
ज़्यादातर मामलों में डॉक्टर लक्षणों से ही यह पता लगा लेते हैं कि आपको फिशर की दिक्कत है। हालांकि संतुष्टी के लिए शारीरिक परीक्षण ज़रूरी है। इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर प्रभावित क्षेत्र को देख सकता है।
डॉक्टर रेक्टल एग्ज़ाम या एनडोस्कोपी से फिशर का पता लगाया ऐसा ज़रूरी नहीं है। रेक्टल एग्ज़ाम मेें डॉक्टर दस्ताना पहनकर गुदा का महसूस करता है। एनोस्कोपी में डॉक्टर एनल कैनल में लाइट स्कोप डालकर देखता है।
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आमतौर पर गुदा का शारीरिक परीक्षण किया जाता है। लेकिन अगर डॉक्टर को लगता है कि फिशर की दिक्कत इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (पाचन से संबंधित ऐसी ही एक बीमारी है जो कई प्रकार की समस्याओं को जन्म दे सकती है) की वजह से है तो हो सकता है आपको अधिक टेस्ट करवाने की ज़रूरत पड़े।
डॉक्टर, सिग्मोइडोस्कोपी करवाने की सलाह भी दे सकता है। इसके अलावा बड़ी आंत को देखने के लिए कोलोनोस्कोपी करवाने का सुझाव भी डॉक्टर के द्वारा दिया जा सकता है। दोनों ही टेस्ट में एक लंबी, पतली, लचीली और लाइट वाली ट्यूब को गुदा के अंदर कोलन को देखने के लिए डाला जाता है।
फिशर का इलाज करने का मकसद मरीज़ को दर्द और सहजता से राहत दिलाना है।
एक्यूट एनल फिशर: इस प्रकार का फिशर 6 हफ्तों से ज़्यादा नहीं रहता है। यह खुद ही ठीक हो जाता है।
क्रोनिक एनल फिशर: यह 6 हफ्तों से ज़्यादा समय के लिए रहता है। इसको ठीक करने के लिए सर्जरी या दवाई की ज़रूरत पड़ सकती है।
अगर आपको फिशर कब्ज या डायरिया की वजह से हुआ है तो कुछ आदतों में बदलाव करके इसको ठीक किया जा सकता है। निम्नलिखित बातों का ध्यान रखने से आपकी स्थिति बेहतर हो सकती है।
अधिकतर केस में इन बातों का ध्यान रखने से कुछ हफ्ते या महीने में फिशर की समस्या से राहत मिल जाती है। लेकिन अगर आपको आराम नहीं मिल रहा है तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें और दूसके इलाज के विकल्प के बारे में बात करें।
नाइट्रेट ऑइंटमेंट: एनल कैनल में रक्त का बहाव बढ़ाने के लिए डॉक्टर ये दवाई लगाने की सलाह दे सकता है। गुदे में खून का बहाव बेहतर होने से फिशर में काफी सुधार आता है। इस दवाइ के साइड इफेक्ट में सिर दर्द होना, चक्कर आना और लो ब्लड प्रेशर की शिकायत होना आम है। अगर आपने इरेक्टाइल डिस्फंक्शन वाली कोई दवाई ली है तो उसके 24 घंटे के अंदर नाइट्रेट ऑइंटमेंट ना लें।
कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स: यह दवाइयां ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए दी जाती हैं। लेकिन इनमें से कुछ दवाएं ऐसी हैं जो फिशर ठीक करने में सहायक है। इसके साइड इफेक्ट्स में सिर दर्द शामिल है।
बोटॉक्स इंजेक्शंस: अगर दवाइयों से बात नहीं बनती है तो बोटूलिनम टॉक्सिन टाइप ए दे सकते हैं। इस इंजेक्शन की मदद से दर्द में राहत मितली है और फिशर भी 60 से 80 प्रतिशत ठीक हो जाता है। इंजेक्शन लगाने के बाद हो सकता है कुछ समय तर आप कई बार बाथरूम जाएं या सामान्य तौर से ज़्यादा गैस पास हो। पर ऐसा होना टेंपरेरी है। घबराए नहीं।
अगर दवाई या इंजेक्शन से आपको आराम मिल जाता है तो हो सकता है आपको सर्जरी की आवश्यकता ना पड़े। लेकिन अगर आपको आराम नहीं मिल रहा है तो डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें। वह आपको सर्जरी करवाने की राय दे सकता है। फिशर के लिए की जाने वाली सर्जरी को एलएसआई कहते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान एनल स्फिनटर मसल में चीरा लगाया जाता है। ऑपरेशन के बाद दर्द में राहत मिलती है और फिशर सही होने लगता है।
One of the hallmarks of our facility is the inclusion of 6 state-of-the-art critical care units.
These units are dedicated to ensuring that patients facing severe and life-threatening conditions receive immediate and specialized care.
Additionally, our 8-bed Intensive Care Unit (ICU) is equipped with the latest technology to monitor and manage patients who require intensive medical attention.
Patients can also benefit from the spacious general beds while they recover.
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